खतरा है जानते हुए भी दे दी पटाखा बाजार की अनुमति
पिछले कई सालों से रामलीला मैदान में पटाखा बाजार लगता आ रहा है जबकि मैदान घनी आबादी के बीच है। धार्मिक स्थल, मुख्य बाजार और बेस अस्पताल भी निकट हैं। अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट के बाद भी पुलिस और प्रशासन के अधिकारी आंखें फेरे बैठे रहे और रामलीला मैदान में पटाखा बाजार लगाने की अनुमति दे दी। वहीं अधिकारी अगर पहले ही इस व्यवस्था को लेकर सचेत और सक्रिय होते तो शायद मामला हाईकोर्ट तक न पहुंचता।
जीएसटी को भी मिले 11 व्यापारियों के जांच के निर्देश
शहर के 11 पटाखा व्यापारियों की शिकायत जीएसटी को भी मिली थी। 18 अक्तूबर को जीएसटी के संयुक्त आयुक्त ने सभी 11 दुकानदारों की जांच करने के निर्देश भी जारी किए थे। टीम ने पिछले तीन दिनों में छह पटाखा दुकानों पर छापा मारा था। गड़बड़ी मिलने पर टीम ने सभी दुकानों के दस्तावेज सील किए थे।
आधी-अधूरी रह गईं तैयारियां
रामलीला मैदान में पटाखा बाजार लगाने की अनुमति मिलने के बाद पटाखा व्यापारियों ने दुकानों की तैयारियां शुरु करा दी थीं। टीन की दुकानें भी बनना शुरु हो गईं लेकिन बृहस्पतिवार को कोर्ट का आदेश आने के बाद जब जिला प्रशासन ने रामलीला मैदान का ठेका रद्द किया और बात व्यापारियों तक पहुंची तो काम को वहीं रोक दिया गया।
राजनैतिक दबाव में अनुमति देने का आरोप
प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने फैसले का स्वागत किया है। संगठन के प्रदेश प्रभारी वीरेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन ने नियमों को ताख पर रखकर ठेका दिलाया। ऐसा लगता है कि राजनैतिक दबाव में यह फैसला लिया गया है। प्रांतीय नगर उद्योग व्यापार मंडल दीपावली पर्व के बाद किसी भी जनविरोधी आदेशों के खिलाफ मुखर होगा।
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