12.8 C
London
Saturday, July 27, 2024
spot_img

हल्द्वानी: उपजाऊ जमीन और बेहतर कनेक्टिविटी से बढ़ती गई आबादी, फिर शुरू हुआ अवैध कब्जे का खेल

ख़बर रफ़्तार, हल्द्वानी:  शांत वातावरण और उपजाऊ कृषि भूमि वाला क्षेत्र हल्द्वानी। हल्दू के पेड़ों से भरा रहने वाला यह खूबसूरत स्थल कभी पहाड़ के लोगों के लिए धूप सेंकने का अड्डा हुआ करता था। पहाड़ के दूरदराज के लोग अच्छी कृषि के मोह में कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी पहुंचने लगे।

धीरे-धीरे शहर बसने लगा, लेकिन जैसे ही वर्ष 1880 में ट्रेन पहुंची और इसने सफर सुहाना किया, वहीं इसी रेल लाइन के आसपास की भूमि पर अवैध बसासत भी शुरू हो गई। शुरुआत में टेंट या तिरपाल लगाकर लोगों ने रहना शुरू किया था। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ने लगी।  काठगोदाम के बाद हल्द्वानी रेलवे स्टेशन भी बन गया।
तुच्छ राजनीति ने बसाई अवैध बस्ती

ट्रेनों की संख्या बढ़ने लगी, लेकिन अवैध रूप से बसे लोगों पर कुछ राजनेताओं की नजर पड़ गई। इनके जरिये सत्ता की सीढ़ी चढ़ने का खेल शुरू हुआ।  ईंट व तिरपाल के डंडों से बनी झोपड़ी पक्की होने लगी। तुच्छ राजनीति का शौक रखने वालों ने अपने राजनीतिक प्रभाव से इन्हें सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करा दीं। इसी के साथ अवैध बस्ती और तेजी से फलने-फूलने लगी।

1975 के बाद यहां आबादी का विस्तार बहुत तेजी से हुआ। दूसरे राज्यों के लोग पहले स्वयं बसे और फिर अपने रिश्तेदारों को भी ले आए। अधिकारी भी नौकरी पूरी कर अतिक्रमण से मुंह छिपाते रहे। अब यह स्थिति विस्फोटक बन चुकी है।

2007 में हाई कोर्ट के आदेश के बाद मची हलचल

वर्ष 2007 में जब हाई कोर्ट ने संज्ञान लेकर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया तो हलचल मची। कुछ हद तक अतिक्रमण हटाया भी गया। तब भी आगजनी, पथराव जैसी स्थिति पैदा हुई थी। मुश्किल से शहर को जलने से बचाया गया था, मगर तब भी अतिक्रमण पूरी तरह नहीं हटाया जा सका था। इसके बाद वर्ष 2013 में दूसरी बार अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

पुलिस-प्रशासन के लिए बनीं चुनौती

वर्ष 2016 में हाई कोर्ट ने आदेश भी कर दिए थे। रेलवे व प्रशासन के अनुसार, रेलवे की भूमि पर करीब 75 एकड़ भूमि पर 4165 घर बने हुए हैं। इसमें 50 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं। इसे हटाने के लिए पूरी फोर्स भी बुला ली गई थी, लेकिन फिर लोग सड़कों पर उतर आए। अब यह अतिक्रमण का बदनुमा दाग इतना गहरा हो गया है कि पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।

एक बार फिर बनभूलपुरा कांड को लेकर डीएम नैनीताल वंदना कहती हैं कि अपने ही देश में अतिक्रमण हटाने के लिए युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। यह सोचनीय है। इधर, इस अतिक्रमण की वजह से रेलवे का विस्तार व विकास ठप है।

यह भी पढ़ें:उत्तराखंड: हल्द्वानी के बाहरी इलाकों से हटा कर्फ्यू, बनभूलपुरा में अभी भी लागू; स्कूल बंद

- Advertisement -spot_imgspot_img
Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here