ख़बर रफ़्तार, उत्तरकाशी: भागीरथी (गंगा) किनारे बसे उत्तरकाशी नगर में कूड़े की सड़ांध कभी भी बड़ी महामारी फैल सकती है। तांबाखाणी क्षेत्र में कूड़े की बदबू से आवाजाही सहज नहीं है। इससे इंसान ही नहीं बल्कि मवेशी और जलीय जीव भी बीमार पड़ सकते हैं। परंतु जिम्मेदारों के पास न कूड़े का समाधान है और न जवाब।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय की नगर पालिका बाड़ाहाट में कूड़ा निस्तारण की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। परंतु, पिछले पांच वर्षों से यह समस्या जटिल बनती जा रही है। शहर के बीच तांबाखाणी के पास नियम विरुद्ध कूड़ा डंपिंग जोन बनाया गया है। जिसमें गंगा स्वच्छता के निर्देश और नियमों को नगर पालिका एवं प्रशासन ने ताक पर रखा है। तांबाखाणी में कूड़े का पहाड़ आमजन के लिए मुसीबत बन रहा है।
कूड़े की बदबू से जनता परेशान
गंदगी के साम्राज्य से आसपास के निवासियों का जीना मुहाल हो गया है। यहां कूड़े की बदबू मुख्य बाजार, तांबाखाणी सुरंग, जोशियाड़ा और ज्ञानसू तक फैल रही है। बदबू के कारण दोपहिया वाहन और पैदल चलने वालों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। इसके अलावा कूड़ा भागीरथी नदी में भी गिर रहा है। कूड़े के गंदे पानी के रिसाव भी भागीरथी में हो रहा है। जिस स्थान पर कूड़े का ढेर है वह उत्तरकाशी शहर का मुख्य प्रवेश द्वार है। जिससे उत्तरकाशी छवि को भी बट्टा लग रहा है।
महामारी को दावत दे रही ये गंदगी
जिला अस्पताल उत्तरकाशी में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. सुबेग सिंह कहते हैं कि तांबाखाणी के पास पैदल चलना तो दूर गाड़ी में शीशा बंद करके चलना भी मुश्किल है। यह उत्तरकाशी की सबसे बड़ी समस्या है। कूड़े में पैदा होने वाले वायरस हवा के जरिये शरीर में एंट्री कर सकते हैं। इससे हेपेटाइटिस वायरस, हैजा, पीलिया, डायरिया होने का काफी खतरा है। गंदे पानी की वजह से टाइफाइड हो सकता है।
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