मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में वनाग्नि और आपदा को भी जोड़ने की कसरत, प्रभावित परिवारों को मिलेगा लाभ –

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ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना काल के दौरान शुरू हुई मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का स्वरूप बढ़ाने की तैयारी चल रही है. साल 2021 में शुरू हुई इस योजना को अब तक कोविड से प्रभावित परिवारों के बच्चों के लिए चलाए जा रहा था, लेकिन अब सरकार वनाग्नि और आपदा जैसी घटनाओं को भी योजना में सम्मिलित करने पर विचार कर रही है.

प्रदेश में कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना संचालित कर रही है. इस योजना के जरिए सरकार की कोशिश है कि प्रभावित बच्चों को आर्थिक रूप से मदद दी जाए, ताकि परिजनों के न होने के बावजूद उन्हें भरण पोषण को लेकर दिक्कतें न आए. योजना में ऐसे बच्चों को ₹3000 प्रतिमाह देने का निर्णय लिया गया था और इसके लिए कोरोना काल के दौरान जान गंवाने वाले परिवारों के इन बच्चों का चिन्हीकरण भी किया गया था. उस दौरान करीब 2300 बच्चों को चिन्हित किया गया था, बाद में लाभार्थी बच्चों की यह संख्या करीब 6000 पहुंची थी.

हालांकि अब यह संख्या घटकर करीब 5000 रह गई है. मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत अब कोविड के अलावा वनाग्नि और आपदा को भी इसमें शामिल करने की तैयारी है, हालांकि फिलहाल विभाग द्वारा प्राथमिक स्तर पर इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर अनुमति मिलने के बाद वनाग्नि और आपदा प्रभावित परिवारों के बच्चों को भी इसका लाभ मिलने लगेगा. दरअसल, इस योजना के तहत 21 साल की आयु तक ऐसे छात्रों को आर्थिक सहायता दी जाती है.

अब धीरे-धीरे कई छात्र 21 साल की उम्र पूरी कर रहे हैं, जिसके कारण लाभ लेने वाले छात्रों की भी संख्या योजना में कम हो रही है.इस योजना के लिए 13 जून 2021 को शासनादेश किया गया था, जबकि इसका लाभ छात्रों को सीधे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी के माध्यम से किया जाता है. प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान बड़ी संख्या में लोग हताहत होते हैं. इसी तरह राज्य में वनाग्नि की घटनाएं भी बढ़ रही है और इसमें हताहत होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है. लिहाजा इन्हीं सभी स्थितियों को देखते हुए अब योजना का विस्तार करने के प्रयास हो रहे हैं. अपर सचिव प्रशांत आर्य ने कहा कि अभी इस योजना को लेकर फिलहाल विचार चल रहा है और इसमें अधिक से अधिक बेसहारा बच्चों को लाभ मिल सके इसके प्रयास किया जा रहे हैं.

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