ख़बर रफ़्तार, देहरादून: महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं, फिर चाहे बात शिक्षा, राजनीति, खेल या किसी अन्य क्षेत्र की क्यों न हो। हर जगह महिलाएं देश का गौरव बढ़ा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी पुरुषों के मुकाबले नागरिक सुविधाओं में बड़ा अंतर है। गांव, देहात तो छोड़िये राजधानी देहरादून में ही महिलाओं के लिए जन सुविधाओं की किल्लत साफ-साफ नजर आती है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजधानी की जनसंख्या 1696694 है। इसमें महिलाओं की आबादी 804494 है, जबकि पुरुषों की आबादी 892166 है। यानी महिलाओं और पुरुषों की आबादी लगभग बराबर है। शहर में मात्र 41 सार्वजनिक शौचालय हैं। इसमें 33 शौचालय नगर निगम, एमडीडीए और पर्यटन विभाग के हैं।
साफ सफाई की व्यवस्था नहीं
इन्हें नगर निगम संचालित करता है। जबकि, सात शौचालय स्मार्ट सिटी की ओर से बनाए गए हैं। हैरत यह है कि इनमें महिलाओं के लिए एक भी अलग शौचालय (पिंक टॉयलेट) नहीं हैं। वहीं, जो सार्वजनिक शौचालय हैं उनमें भी महिलाओं के लिए नाममात्र की ही सुविधाएं हैं। इनमें न साफ सफाई की व्यवस्था है और न सुरक्षा की।
किसी के नल टूटे हुए हैं तो किसी में पानी की सुविधा नहीं है। दो चार शौचालय ऐसे भी हैं, जिन पर ताले लगे हैं। इसके बावजूद हम आधी आबादी की आजादी पर गर्व करते हैं। हालांकि, स्मार्ट सिटी के अंतर्गत जो शौचालय बने हुए हैं, वह सुविधाओं के मामले में एमडीडीए, नगर निगम, पर्यटन विभाग की ओर से बने शौचालय से काफी बेहतर हैं। इनमें महिला और पुरुष के लिए अलग से गैलरी है, लेकिन अन्य सार्वजनिक शौचालयों में महिला, पुरुषों के लिए प्रवेश द्वार तक अलग नहीं हैं।
कैंट क्षेत्रों में भी नहीं पिंक टॉयलेट की सुविधा
नगर निगम क्षेत्र के साथ ही कैंट क्षेत्रों में भी पिंक शौचालय नहीं है। कैंट देहरादून में नौ शौचालय हैं। इसमें से छह गढ़ी डाकरा क्षेत्र तो तीन प्रेमनगर क्षेत्र में हैं। प्रेमनगर क्षेत्र में स्थित शौचालयों की दशा बदतर है।
अधिकतर बाजारों में शौचालय नहीं
पिंक टाॅयलेट तो दूर की बात है, राजधानी के अधिकांश बाजारों में शौचालय तक नहीं हैं। शहर के सबसे बड़े पलटन बाजार में मात्र तीन शौचालय हैं। इसके अलावा आढ़त बाजार, हनुमान चौक, सब्जी, मंडी, मोती बाजार, झंडा बाजार, राजारोड, आढ़त बाजार में शौचालय की सुविधा नहीं है। जबकि, यहां रोजाना हजारों पुरुष और महिलाएं खरीदारी करने के लिए आते हैं। शौचालय न होने से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।
दून में फिलहाल महिलाओं के लिए अलग से पिंक टॉयलेट नहीं हैं। अभी तक इसकी कोई डिमांड भी नहीं आई, लेकिन जो नए शौचालय बनाए जा रहे हैं। उनमें प्रयास किए जा रहे हैं कि महिलाओं के लिए अलग से प्रवेश द्वार हो। ताकि महिलाओं को असुविधा का सामना न करना पड़े। भविष्य में अन्य महानगरों की तरह पिंक टाॅयलेट बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। – मनुज गोयल, नगर आयुक्त, देहरादून