इस महत्वपूर्ण परीक्षण के दौरान इंजीनियरों ने रॉकेट के प्रोपल्शन में लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स) के रिसाव का पता लगाया। इसरो के अध्यक्ष एवं अंतरिक्ष आयोग के प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने कहा, “इसरो, एक्सिओम और स्पेसएक्स विशेषज्ञों के बीच विचार-विमर्श के आधार पर प्रक्षेपण के लिए आगे बढ़ने से पहले एलओएक्स रिसाव ठीक करने और फिर उसके अतिरिक्त सत्यापन करने का निर्णय लिया गया है।” उन्होंने कहा कि इसे ठीक करने के बाद मिशन की नयी तारीख की घोषणा की जाएगी।
गौरतलब है कि एक्सिओम-04 मिशन ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन है। गगनयात्री भारतीय वायु सेना के अनुभवी पायलट ग्रुप कैप्टन प्रशांत शुक्ला पिछले एक साल से इस बाबत ह्यूस्टन में गहन प्रशिक्षण ले रहे हैं। श्री शुक्ला को आईएसएस पर लगभग दो सप्ताह बिताने हैं जहाँ वे भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रयोगों और प्रौद्योगिकी प्रदर्शनों का संचालन करेंगे।
यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में इसलिए भी बड़ी उपलब्धि है क्योंकि शुक्ला चार दशको के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बनेंगे। स्क्वाड्रन लीडर एवं पूर्व भारतीय वायु सेना अधिकारी राकेश शर्मा देश के पहले अंतरिक्ष यात्री थे। उन्होंने वर्ष 1984 में सोवियत इंटरकोसमोस कार्यक्रम के तहत सोयुज T-11 में उड़ान भरी थी, जो भारत और रूस के बीच एक संयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम था।
विभिन्न विमान प्लेटफार्मों पर 3,000 घंटों से अधिक उड़ान अनुभव वाले एक प्रतिष्ठित परीक्षण पायलट शुक्ला प्रारंभिक गगनयान अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण दल का भी हिस्सा थे और भारत की बढ़ती मानव- अंतरिक्ष उड़ान महत्वाकांक्षाओं में अगले अध्याय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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