वीरभूमि का कमाल, खटीमा के जितेंद्र ने पाया मुकाम…पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से

खबरे शेयर करे -

ख़बर रफ़्तार, देहरादून : देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा आगे रहे हैं। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है। वहीं भारतीय सेना का हर पांचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है।

आइएमए में आयोजित एसीसी के दीक्षा समारोह में भी इस समृद्ध सैन्य विरासत की झलक साफ दिखी। उत्तराखंड के जितेंद्र थिरपोला ने चीफ आफ आर्मी स्टाफ सिल्वर मेडल और कला वर्ग व सर्विस सब्जेक्ट में कमांडेंट सिल्वर मेडल हासिल किया है।

सैन्य परिवार से ताल्लुक

खटीमा के रहने वाले जितेंद्र सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता किशन सिंह बीएसएफ से एएसआइ के पद से रिटायर हैं। बड़ा भाई सुरेश सेना में नायक है, जबकि दादा प्रेम सिंह नायक और ताऊ नारायण सिंह हवलदार रिटायर हुए। जितेंद्र की बचपन से ही फौज में अफसर बनने की ख्वाहिश थी।

एनडीए की लिखित परीक्षा पास की, पर साक्षात्कार में बाहर हो गए। इसके बाद वर्ष 2018 में सेना में भर्ती हुए। अपनी लगन और कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने एसीसी में प्रवेश पाया। अब एक साल के प्रशिक्षण के बाद वह सेना में अधिकारी बन जाएंगे।

पाया मुकाम, बने मिसाल

इंसान के हौसले बुलंद हों तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के ललाना गांव निवासी दिनेश कुमार ने। उन्होंने चीफ आफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल और विज्ञान वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल हासिल किया है। उनके पिता राकेश करवासरा जोधपुर विवि में प्राध्यापक हैं। जबकि मां संतोष गृहिणी हैं।

दिनेश का सपना सेना में अफसर बनने का था, तो शिद्दत से इसकी तैयारी की। एनडीए, एयर फोर्स कामन एडमिशन टेस्ट की परीक्षा पास की, पर अंतिम चरण में बाहर हो गए। जिसके बाद वह 2018 में वायु सेना में भर्ती हो गए। एक सैनिक के रूप में काम करते-करते वह अपना सपना पूरा करने को जुटे रहे। अब एसीसी के जरिये अफसर बनने की राह पर हैं।

कई असफलताओं के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत

एटा, उप्र निवासी विकास चौहान की कहानी भी हिम्मत और हौसले की मिसाल है। चीफ आफ आर्मी स्टाफ ब्रांज मेडल प्राप्त करने वाले विकास के पिता उमेश चौहान एक निजी कंपनी में मैनेजर हैं। मां रेखा गृहिणी हैं। विकास का सपना सेना में अफसर बनने का था।

ऐसे में एनडीए, सीडीएस, एयर फोर्स कामन एडमिशन टेस्ट और टेक्निकल एंट्री स्कीम के जरिये प्रयास किया। लिखित परीक्षा कई बार पास की, पर अंतिम चरण में बाहर हो गए। हिम्मत हारी नहीं। वर्ष 2016 में एयरफोर्स में भर्ती हुए। अपने परिश्रम व लगन की बदौलत अब वह अपने सपने के बेहद करीब हैं।

ये भी पढ़ें-चुनाव खत्म होते ही विधायक शीतल अंगुराल के बदले सुर, इस्तीफा वापस लेने के लिए स्पीकर को लिखा पत्र

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours