
खबर रफ़्तार, रामपुर : जीआईएस सर्वे में जिले की निकायों में 84 हजार संपत्तियां बढ़ गईं हैं और इसी के साथ यह आंकड़ा बढ़कर 1.46 लाख से पार हो गया है। अभी 60 हजार और संपत्तियों के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, राजस्व वसूली भी लक्ष्य से कई गुना ज्यादा हुई है।
स्थानीय निकायों में जीआईएस सर्वे का कार्य शुरू होने से पूर्व 62819 भवनों, संपत्तियों से गृहकर, जलकर की वसूली की जा रही थी। वर्तमान में चल रहे जीआईएस सर्वे के बाद अब तक 1,46,815 सम्पत्तियां बढ़ गई हैं। जबकि जीआईएस सर्वे प्रक्रिया में है। लगभग 60 हजार संपत्तियां और बढ़ने की संभावना है। मसवासी, सैफनी, नरपतनगर, दूंदावाला और दढ़ियाल में जीआईएस सर्वे शत प्रतिशत हो चुका है। रामपुर, स्वार, शाहबाद, मिलक, बिलासपुर, केमरी और टांडा में भी सर्वे कार्य अंतिम चरण में है। वार्डवार आंकड़ों के मुताबिक स्थानीय निकायों के कुल 231 वार्डों के सापेक्ष 191 वार्डों में जीआईएस सर्वे कार्य हो चुका है। नगरपालिका रामपुर में 70632, स्वार में 8974, टांडा में 10043, मिलक में 9201, बिलासपुर में 12139 सम्पत्तियों को शामिल किया गया है। नगर पंचायत केमरी में 4077, शाहबाद में 8250, मसवासी में 4251, सैफनी में 6748, नरपतनगर दूंदावाला में 4869 और दढ़ियाल की 7631 संपत्तियां शामिल हैं।
इनसेट
ई-पेमेंट से हो सकेगा टैक्स का भुगतान
डीएम जाेगिंदर सिंह ने बताया कि, पारदर्शी और सुनियोजित कर संग्रह प्रणाली को प्रभावी ढंग से लागू करने से आने वाले राजस्व से विकास कार्यों को पंख लगेंगे। जीआईएस सर्वे के आधार पर स्थानीय निकायों की संपत्तियों और भवनों को चिन्हित कराया गया है। ई-पेमेंट के रूप में कर संग्रह की पारदर्शी व्यवस्था भी लागू कराई जा रही है। ई-पेमेंट व्यवस्था के माध्यम से अब नगरीय क्षेत्र के निवासियों, विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठान के संचालकों को कर जमा करने के लिए जाने की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि वे ई-पेमेंट व्यवस्था के माध्यम से ही कर जमा कर सकेंगे। नगरीय क्षेत्रों में स्थित पेट्रोल पंप, शराब की दुकान, मॉल समेत अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी चिन्हित करके उन्हें टैक्स के दायरे में लाया जा रहा है।
वर्जन
जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह ने बताया कि शासन से जून 2025 तक के लिए 274.76 लाख रुपये गृहकर, जलकर का राजस्व लक्ष्य निर्धारित था। इसके सापेक्ष 1084.80 लाख रुपये की रिकॉर्ड वसूली हो चुकी है। वार्षिक लक्ष्य 1831,89 लाख रुपये है। मार्च 2026 के अंत तक दोगुनी से अधिक वसूली होने की संभावना है।
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