औषधीय पौधों से कोरोना वायरस को नष्ट करने में कामयाबी हासिल; SSJ विवि केशोधार्थियों ने विषाणुओं को नष्ट करने के 17 तत्व खोजे

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खबर रफ़्तार, अल्मोड़ा : एसएसजे विवि अल्मोड़ा के शोधार्थियों ने वनस्पति पौधों के तत्वों से वैश्विक कोरोना वायरस के प्रभाव को नष्ट करने में कामयाबी हासिल की है।

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के शोधार्थियों ने वनस्पति पौधों के तत्वों से वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रभाव को नष्ट करने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने शोध में पाया कि 11 औषधीय पौधों में मिले 17 तत्व कोरोना वायरस में मौजूद एमप्रो एंजाइम को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं। एंजाइम के नष्ट होने से वायरस की वृद्धि थम जाती है।

विवि के शोधार्थियों ने पाया कि हल्दी, राम तुलसी, कपूर तुलसी, बीन, नागदौना, कुलंजन, कुरुली, लौंग, बुचू, एलेकैम्पेन, जंगली सूरजमुखी के औषधीय पौधों के 17 तत्व कोविड-19 वायरस के मुख्य प्रोटीएज एमप्रो एंजाइम वायरस को नष्ट करने में सक्षम हैं। एमप्रो एंजाइम से ही वायरस की बढ़ोतरी होती है। जब यह एंजाइम निष्क्रिय हो जाता है तो वायरस आवश्यक प्रोटीन नहीं बना पाता और उसकी वृद्धि रुक जाती है। शोध से साबित हुआ है कि उत्तराखंड में पाई जाने वाली वनस्पति कोरोना वायरस के नए वैरिएंट एक्सएफजी को भी नष्ट करने में अहम साबित हो सकती है।

वायरस को नष्ट करने वाले तत्व
पाइपरोलैक्टम ए, क्वेरसेटिन 3-ग्लुकुरोनाइड-7-ग्लूकोसाइड, क्वेरसेटिन 3-विसियानोसाइड, शैफ्टोसाइड, क्राइसोएरियोल 8-सी-ग्लूकोसाइड, आइसोस्कुरानेटिन 7-ओ-नियोहेस्परिडोसाइड, डेल्फिनिडिन 3-ओ-ग्लूकोसाइड, पेटुनीडिन 3-ओ-ग्लूकोसाइड, ओलेनोलिक एसिड, कैफेओयलक्विनिक, एब्सिन्थिन, एनाबसिंथिन, डाइकैफॉयलक्विनिक एसिड, क्वेरसेटिन-7-ओ-गैलेक्टोसाइड, 3,5-डाइकैफियोइलक्विनिक एसिड, 3,4,5-ट्राइकैफियोइलक्विनिक एसिड, राइबोफ्लेविन।

औषधीय पौधे की विशेषता पिप्पर लोंगम: पिप्पली एक लता है, जो आयुर्वेद में श्वसन और पाचन संबंधी समस्याओं के उपचार में उपयोगी मानी जाती है।

ओसीमम ग्रैटिसिमम : राम तुलसी के रूप में प्रसिद्ध यह पौधा आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।

ओसीमम किलिमंडासचारिकम : कपूर तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी, जुकाम, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा की समस्याओं में राहत देते हैं।

सिजीजियम एरोमेटिकम : लौंग के रूप में प्रसिद्ध है। मसाला और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।

करकुमा लोंगा : इसे हल्दी के रूप में जाना जाता है। यह कफ को कम करशरीर में खून बढ़ाने में मदद करता है। डायबिटीज में इसका सेवन उपयोगी माना जाता है।

अगाथोस्मा बेटुलिना : बुचू के नाम से जाना जाने वाला यह पौधा मूत्रवर्धक और एंटीसेप्टिक गुणों के लिए प्रसिद्ध है।

इनुला हेलेनियम : एलेकैम्पेन या जंगली सूरजमुखी के रूप में प्रसिद्ध यह पौधा श्वसन तंत्र के लिए सहायक है।

आर्टेमिसिया एब्सिन्थियम: वर्मवुड या नागदौना के रूप में जाना जाता है। यह पाचन और श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी है।

फेजोलस वल्गारिस : सामान्य सेम (बीन) के रूप में जाना जाता है जो प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।

एल्पिनिया ऑफिसिनारम : कुलंजन के नाम से प्रसिद्ध पौधा पाचन और श्वसन समस्याओं में सहायक है।

ग्रिंडेलिया स्क्वरोसा : कुरुली के नाम से विख्यात पौधा श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी है

शोध में रहे शामिल
विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुभाष चंद्रा के निर्देशन में हुए शोध में डॉ. तुषार जोशी, डॉ. तनुजा जोशी, डॉ. प्रियंका शर्मा, डॉ. शालिनी मठपाल, डॉ. हेमा पुंडीर, विकास भट्ट शामिल रहे।

देश भर में एक बार फिर कोविड के मामले बढ़ रहे हैं। यदि शोध कार्य को क्लीनिकल ट्रायल्स में भी सफलता मिलती है तो यह कोविड-19 सहित अन्य संक्रमणों के लिए एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार का विकल्प बन सकता है।

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