ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी नौकरी पाने को लोग फर्जी स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की नर्सिंग अफसरों की भर्ती से यह हैरान करने वाला खुलासा हुआ। भर्ती प्रक्रिया के दौरान प्रमाण पत्रों की जांच में ऐसे आठ मामले सामने आए। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराई गई जांच में दो चयनित आवेदकों के स्थायी निवास प्रमाणपत्र फर्जी साबित हुए, जबकि छह की जांच अब भी जारी है। फर्जी प्रमाणपत्र वाले दोनों अभ्यर्थियों का चयन रद्द कर दिया गया है।
उत्तराखंड में समूह ‘ग’ की सरकारी नौकरियों के लिए स्थायी निवास प्रमाणपत्र की अनिवार्यता है। इस शर्त को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से आए कई लोग, उत्तराखंड में स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं। प्रदेश में पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग अफसरों के 1500 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान विभाग को आठ चयनितों के खिलाफ, उनके स्थायी निवास प्रमाणपत्र फर्जी होने की शिकायतें मिलीं। विभाग ने जांच कराई तो सामने आया कि उक्त चयनितों के स्थायी निवास प्रमाणपत्र बिना मानक पूरा किए ही बना दिए गए हैं। ऐसे में स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।
आशंका है कि हाल के वर्षों में मैदानी तहसीलों से जारी हुए कई अन्य स्थायी निवास प्रमाणपत्र भी फर्जी हो सकते हैं। संविदा एवं बेरोजगार नर्सिंग अधिकारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष हरिकृष्ण बिजल्वाण ने कहा कि सभी आवेदकों के प्रमाणपत्रों की गहन जांच जरूरी है।
स्थायी निवास को 15 साल रहना अनिवार्य
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के तहत 20 नवंबर 2001 में दिए गए प्रावधानों के तहत उत्तराखंड में स्थायी निवास प्रमाणपत्र बनाया जा सकता है। इसके लिए राज्य में लगातार 15 साल का निवास दिखाना अनिवार्य है। इसके तहत भूमि की रजिस्ट्री जिसमें 15 साल निवास की पुष्टि होती है। आधार कार्ड, शिक्षा संबंधी प्रमाणपत्र, बिजली पानी का बिल, बैंक पासबुक, नगर निगम हाउस टैक्स की प्रति, गैस कनेक्शन, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड की प्रति दिखाना इसके लिए अनिवार्य है।
सचिव स्वास्थ्य डॉ.आर.राजेश कुमार ने कहा, ”नर्सिंग अधिकारी पद पर चयनित आठ युवाओं के स्थायी निवास प्रमाणपत्र फर्जी होने की शिकायत मिली थी। जांच कराई तो दो अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र गलत मिले। इस पर उक्त दोनों का चयन निरस्त कर दिया गया है, जबकि अन्य की जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर अन्य के संदर्भ में निर्णय लिया जाएगा।”
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