ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश किया है. क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चला रहे थे. यह पूरा रैकेट फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देश के 5 राज्यों- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एमपी और गुजरात में स्थित अस्पतालों में चलाया जा रहा था.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश कर मामले में 8 आरोपियों की गिरफ्तारी करने के बाद इसमें आगे की जांच भी शुरू कर दी है. इस रैकेट में और लोगों की संलिप्तता होने की संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है. इस पूरे मामले को लेकर क्राइम ब्रांच की ओर से प्रेस कांफ्रेंस की गई है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैसे ये पूरा रैकेट चलाया जाता था.
- सोशल मीडिया के माध्यम से डोनर से करते थे संपर्क, आरोपी रोहित 122 ग्रुप में जुड़ा हुआ था
- किडनी रैकेट का मुख्य आरोपी संदीप आर्य, जो 7 साथियों के साथ रैकेट को चला रहा था
- 5 मरीज और दो किडनी डोनर की पहचान कर ली गई है
- भारी मात्रा में नकली स्टैंप, सील भी बरामद हुई है जिनका इस्तेमाल फर्जी कागज बनाने के लिए किया जाता था
- एक महिला ने शिकायत की थी, संदीप आर्या मास्टरमाइंड ने महिला के पति की किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए 35 लाख रुपये लिए थे
- महिला की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने जांच की
- जिसमें संदीप और उसके साथ सुमित के बारे में जानकारी हाथ लगी
- सुमित की निशानदेही पर संदीप और देवेंद्र को गोवा से ट्रेस किया गया
- पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो मालूम चला पूरा एक नेटवर्क चलाया जा रहा है
- इसमें 3-4 लोग पुनीत, चीका ट्रांसप्लांट कॉरडिनेटर का काम किया करते थे
- पुनीत नकली दस्तावेज बनाने का काम करता था, अस्पताल में ट्रांस्प्लांट कॉर्डिनेटर का भी काम करता था, 50 हजार से 1 लाख रुपये लेता था
- चीका प्रशांत, हनीफ शेख, और तेज प्रकाश मरीज लेकर आते थे या डोनर लेकर आते थे
- इस पूरे रैकेट में सुमित, चीका और हनीफ खुद भी किडनी डोनर रह चुके हैं, इन तीनों ने पहले पैसों के लिए किडनी डोनेट की थी
- आरोपी चीका को नकली कागजात के जरिए अस्पताल में नौकरी भी दिलवाई गई, ये हर केस का एक लाख रुपया लेता था
- सुमित डोनर के ग्रूमिंग का काम भी करता था, 50 हजार रुपये हर केस के लिए लेता था
- संदीप आर्या हर केस का 35 से 40 लाख रुपये लेता था, जिसमें से 7-8 लाख ये बचा लेता था
- जो मरीज लेकर आते थे वो हर केस का 5 लाख रुपये लेते थे, डोनर से एक लाख रुपये लिये जाते थे
- डोनर को 4 से 5 लाख रुपये दिए जाते थे
- 11 अस्पताल में 34 किडनी ट्रांसप्लांट करा चुके हैं.
- 5 राज्यों से इनका कनेक्शन जुड़ा है
- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एमपी और गुजरात में किडनी ट्रांसप्लांट कराए गए
- किसी अस्पताल का कोई रोल नहीं मिला
- होमवर्क करके जाते थे आरोपी, फिर पेपर्स में करते थे गड़बड़ी
- फोटो असली व्यक्ति की होती थी, लेकिन डिटेल किसी और व्यक्ति की
- इस गैंग का बांग्लादेश से कोई संबंध नहीं
- अस्पतालों की भूमिका की भी हो रही जांच
- आरोपी खुद ही फर्जी कागज़ात तैयार करते थे
9 जुलाई को पकड़ा गया था इंटरनेशनल किडनी ट्रांस्प्लांट रैकेट, बांग्लादेश से जुड़े थे तार
बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पिछले दिनों 9 जुलाई को एक इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भी भंडाफोड़ किया था जिसमें ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से 4 से 5 लाख रुपए में किडनी लेते थे और रिसीवर को 20 से 30 लाख रुपए में देते थे. इसमें जाने-माने अस्पतालों की एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में गिरफ्तार लोगों के तार बांग्लादेश से जुड़े हुए थे. यह इंटरनेशनल रैकेट भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी रैकेट चला रहा था और बताया गया था कि यह पूरा रैकेट नोएडा के एक निजी अस्पताल में करीब 15 से 16 किडनी ट्रांसप्लांट भी 2021 और 2023 के बीच में कर चुका था.
+ There are no comments
Add yours