ख़बर रफ़्तार, श्रीनगर: नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्टिंग मामले पर अब सामाजिक संगठनों ने एक मंच पर आकर हाईकोर्ट को मैदानी क्षेत्र की बजाय पर्वतीय जिलों में ही शिफ्ट करने की मांग उठाई है. इस संबंध में श्रीनगर-गढ़वाल को हाईकोर्ट के लिये बेहतर स्थान बताया. सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि उत्तराखंड आंदोलन का मकसद ही पहाड़ी जिलों के विकास के लिए हुआ था. ऐसे में अगर नैनीताल जैसे पहाड़ी जिले से हाई कोर्ट शिफ्ट किया जा रहा है, तो हाईकोर्ट को मैदानी जिले की बजाय पहाड़ में ही शिफ्ट होना चाहिए.
सामाजिक संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि नैनीताल से हाईकोर्ट मैदानी जिले में शिफ्ट हुआ तो नैनीताल से पलायन मैदानी जिलों की तरफ होगा. वहीं, अगर हाईकोर्ट श्रीनगर में शिफ्ट हुआ तो पौड़ी जिले से हो रहे पलायन पर रोक लगेगी. साथ ही पहाड़ी जिले की अव्यवस्थाओं पर कोर्ट का ध्यान केंद्रित करने के लिए कोर्ट में जनहित याचिका डालने में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं को आसानी होगी और पहाड़ के हालात सुधरेंगे.
श्रीनगर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष मोहन लाल जैन ने बताया कि उत्तराखड़ उत्तर प्रदेश से इसलिए अलग हुआ था कि पहाड़ी जनपदों का विकास हो सके, लेकिन विकास की बजाय यहां से पलायन हुआ है. वहीं, अगर हाईकोर्ट भी पलायन कर मैदानी इलाके में चला जायेगा, तो पहाड़ की जनता अपने आपको ठगा महसूस करेगी. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक पलायन पौड़ी जनपद से हुआ है, इसलिए यहां की आर्थिकी को मजबूत करने के लिए अगर हाईकोर्ट यहां शिफ्ट होता है, तो यहां रोजगार के अवसर खुलेंगे.
व्यापार सभा श्रीकोट के अध्यक्ष नरेश नौटियाल ने बताया कि नैनीताल में सामान्य व्यक्ति के लिए रहना महंगा हो जाता है. एक रात रुकने के लिए लोगों को 2000 से अधिक मूल्य में किराया पर कमरा मिलता है. उन्होंने कहा कि नैनीताल में छोटे ढाबे में भी भोजन महंगा पड़ता है. ऐसे में अगर श्रीनगर में हाईकोर्ट बनता है तो यहां सभी प्रकार की सुविधाएं पहले से ही मौजूद हैं.
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