250 लोगों ने करीब 5 किलोमीटर जंगल की खाक छानी, नहीं मिली बेटी; हिंसक जानवर के उठा ले जाने का शक

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ख़बर रफ़्तार, नैनीताल:  जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर बगड़ तल्ला में सुमन को हिंसक जानवर द्वारा उठा ले जाने की घटना से स्वजन सदमे में हैं। ग्रामीण भी गांव की बेटी के साथ हादसे की खबर से गमजदा हैं। साथ ही वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर गुस्सा भी है।

बेटी की तलाश में ग्रामीण भूखे-प्यासे देर रात तक जंगल की खाक छानते रहे लेकिन सफलता नहीं मिली। बेटी के गम में बदहवास माता-पिता को ग्रामीण महिलाएं सांत्वना दे रही हैं। बताया गया कि डीएसबी परिसर से एमए सुमन की शादी के लिए स्वजन योग्य लड़का तलाश कर रहे थे।

जैसे ही अंधेरा बढ़ा तो नैनीताल से मशाल जलाने के लिए डीजल मंगाया गया। इसके बाद ग्रामीणों व वन कर्मचारियों की टीम ने मशाल के उजाले में करीब पांच किलोमीटर से अधिक दायरे के घने जंगल की खाक छानी लेकिन सफलता नहीं मिली। नैनीताल से भी क्षेत्र के लोग तलाशी अभियान में पहुंचे।

हर घर से लोग जंगल की खाक छानते रहे लेकिन कुरी (लिंटाना) की झाड़ियों में चुनौती कम नहीं हुई। वन क्षेत्राधिकारी प्रमोद तिवारी ने बताया कि तलाशी अभियान जारी है। हिंसक वन्य जीव क्या था, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। गांव के तीन क्षेत्रों के जंगल की तलाश पूरी हो चुकी है।

एक हिस्सा और बचा है, यदि युवती नहीं मिली तो फिर शनिवार सुबह से तलाशी अभियान चलाया जाएगा। उधर, डीएफओ सीएस जोशी के अनुसार युवती को ले जाने वाले वन्य जीव के बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।

पर्यटन सुविधाओं ने डाला वन्य जीवों के रहन-सहन में खलल नैनीताल-किलबरी पंगोट से लेकर घुग्घुखान तक व आसपास के इलाकों में हालिया सालों में पर्यटन कारोबार बढ़ता रहा है। घने वनों वाले इस इलाके में गुलदार, हिमालयन भालू सहित अन्य हिंसक वन्य जीवों व सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियों के वासस्थल हैं।

नैना देवी बर्ड रिजर्व घोषित होने के बाद पर्यावरण संरक्षण तो नहीं लेकिन होटल, गेस्ट हाउस, रिसार्ट तथा होमस्टे खुलते रहे। क्षेत्र में 70 से सौ तक होटल बन चुके हैं। तेज संगीत के साथ ही यहां अन्य मनोरंजन कार्यक्रम इन होटल, रिसार्ट में होते हैं, जिससे वन्य जीवों के रहन-सहन व वास स्थलों पर खलल पड़ा है।

क्षेत्र में वन्य जीवों का अवैध शिकार भी होता है। कुछ साल पहले अवैध वन्य जीवों के शिकार में वन विभाग के कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। छोटे वन्य जीवों की घटती आबादी से गुलदार, बाघ, भालू इत्यादि हिंसक वन्य जीवों का आबादी की ओर आना बढ़ा है।

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