क्या बढ़ेगी पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किल? सुप्रीम कोर्ट के जज ने सुनवाई से खुद को किया अलग

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ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने गुरुवार को आप नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें आबकारी नीति घोटाला मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को पुनर्जीवित करने की मांग की गई थी।

वहीं, जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई तो न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि हमारे भाई को कुछ परेशानी है। वह व्यक्तिगत कारणों से इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगे।

सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने पीठ से मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और कहा कि समय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दोनों मामलों में अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है।

कोर्ट ने सिसोदिया की याचिकाओं पर विचार करने से किया था इंकार

उधर, पीठ ने कहा कि दूसरी पीठ 15 जुलाई को इस पर विचार करेगी। चार जून को शीर्ष अदालत ने कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया था।

सिसोदिया ने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें दो केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांचे गए मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय में निचली अदालत के आदेश को दी थी चुनौती

आप नेता ने उच्च न्यायालय में एक निचली अदालत के 30 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसने 2021-22 के लिए अब रद्द कर दी गई। दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

वहीं, पिछले साल 30 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि थोक शराब डीलरों को 338 करोड़ रुपये के ‘अप्रत्याशित लाभ’ का आरोप सबूतों द्वारा ‘अस्थायी रूप से समर्थित’ था।

शराब नीति मामले में कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। नौ मार्च, 2023 को ईडी ने सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार किया। उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

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