
खबर रफ़्तार, नैनीताल : नीम करोली बाबा के कैंची धाम में हर साल 15 जून को भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। यह मेला कैंची धाम की स्थापना के अवसर पर मनाया जाता है। माना जाता है कि जो भी नीम करोली बाबा के दर पर आता है वो खाली हाथ नहीं लौटता है।
नीम करोली बाबा के कैंची धाम में हर साल भव्य कैंची मेले का आयोजन होता है। इसमें बाबा के दर्शन करने और प्रसाद ग्रहण करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भवाली में स्थित कैंची धाम में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है। इस साल कैंची मेला किस दिन लगेगा और यह क्यों लगता है। आइये जानते हैं।
कैंची मेला 15 जून को लगेगा
कैंची धाम में हर साल 15 जून को भव्य मेला लगता है। यह मेला कैंची धाम की स्थापना के अवसर पर लगता है। इस दिन कैंची धाम स्थापना दिवस मनाया जाता है। भवाली में कैंची धाम की स्थापना जून 1964 में की गई थी। बताया जाता है कि नीम करौली बाबा ने कैंची गांव के पूर्णानंद से 1962 में मुलाकात की और सोमबारी महाराज के निवास को देखने की इच्छा जताई। इसके बाद सोमबारी महाराजा की यज्ञशाला ढूंढी गई और वहां साफ सफाई के बाद एक चबूतरा बनाया गया।
मनाया जाता है स्थापना दिवस
इसी चबूतरे पर हनुमान मंदिर की स्थापना की गई। और 15 जून को मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। तब से यहां प्रत्येक वर्ष 15 जून को कैंची धाम में मेला लगता है। हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोली महाराज ने 1973 में वृंदावन में अपने प्राण त्याग दिए थे। जबकि उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था।
कैंची मेले में मिलता है मालपुए का प्रसादकैंची धाम में लगने वाले मेले में बड़ी संख्या में आने वाला श्रद्धालुओं को मालपुए का प्रसाद दिया जाता है। दरअसल माना जाता है कि नीम करोली बाबा को मालपुए खूब प्रिय थे। इसलिए इस दिन प्रसाद के रूप में मालपुए का वितरण किया जाता है। इसके अलावा स्थानीय लोग मेले का प्रबंधन करने में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कैंची धाम में सुबह शाम की आरती होती है और बाबा को कंबल चढ़ाया जाता है। नीम करोली बाबा की महिमा देश विदेश तक फैली हुई है। कैंची धाम में एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, विराट कोहली जैसी जानी मानी हस्तियां भी आ चुकी हैं। माना जाता है कि बाबा के दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता है।
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