खबर रफ़्तार, नई दिल्ली : यह एक्सिओम-4 मिशन क्या है, जिसके जरिए भारत को दूसरा अंतरिक्ष यात्री मिलेगा? यह मिशन कब, कहां से और कैसे लॉन्च होगा? भारत के लिए इसके क्या मायने हैं? एक्सिओम मिशन के लिए चुने गए शुभांशु शुक्ल कौन हैं? किन उपलब्धियों के चलते उन्हें चुना गया? उनके अलावा कौन-कौन से अन्य बड़े चेहरे इस मिशन में शामिल होंगे? आइये जानते हैं…
11 जून 2025 की तारीख भारत के लिए ऐतिहासिक होने वाली है। जब अमेरिकी वाणिज्यिक स्पेस कंपनी- एक्सिओम (Axiom) अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए अपना एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च करेगी। भारत के शुभांशु शुक्ल पायलट के तौर पर इस मिशन में शामिल हैं। 41 साल बाद भारत का कोई शख्स अंतरिक्ष यात्री बनेगा। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर यह एक्सिओम-4 मिशन क्या है, जिसके जरिए भारत को दूसरा अंतरिक्ष यात्री मिलेगा? यह मिशन कब, कहां से और कैसे लॉन्च होगा? भारत के लिए इसके क्या मायने हैं? एक्सिओम मिशन के लिए चुने गए शुभांशु शुक्ल कौन हैं? किन उपलब्धियों के चलते उन्हें चुना गया? उनके अलावा कौन-कौन से अन्य बड़े चेहरे इस मिशन में शामिल होंगे? आइये जानते हैं..
कैसे आईएसएस के लिए भेजे जाएंगे अंतरिक्षयात्री?
एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की तरफ से निर्मित ड्रैगन कैप्सूल में बैठाकर रवाना किए जाएंगे। इसे अंतरिक्ष तक पहुंचाने में भी स्पेसएक्स के फैल्कन 9 रॉकेट की सहायता ली जाएगी, जो कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- नासा का अहम साझेदार बन चुका है।
केप कैनेवरल से बुधवार शाम 5.30 बजे (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होने के बाद फैल्कन 9 रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचकर ड्रैगन कैप्सूल से अलग हो जाएगा और अपनी गति के जरिए यह कैप्सूल स्वायत्त तौर पर आईएसएस तक पहुंच जाएगा। अगर स्थितियां सामान्य रहीं तो ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च के करीब 28 घंटे बाद 12 जून को अमेरिकी समयानुसार दोपहर 12.30 बजे आईएसएस पर डॉक हो जाएगा। तब भारत में 12 जून को रात के 10 बजे होंगे।
भारत के लिए अहम होने वाले इस मिशन को भेज कौन रहा है?
एक्सिओम कंपनी को 2016 में नासा से जुड़े रहे दो पूर्व वैज्ञानिकों- माइकल टी. सफ्रेडिनी और कैम गैफेरियन ने ह्यूस्टन से शुरू किया था। इस कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में मिशन भेजने का लक्ष्य रखा। इसमें कुछ और निजी कंपनियों और नासा से मदद लेना शुरू किया। इस कंपनी ने कुछ समय बाद अपना एक्सिओम स्टेशन बनाने का भी लक्ष्य रखा है, जो कि आईएसएस के सेवानिवृत्त होने के बाद उसकी जगह ले सकेगा। एक्सिओम ने अपने स्पेस स्टेशन की लॉन्चिंग 2030 तक करने का लक्ष्य बनाया है। एक्सिओम इससे पहले तीन मिशन्स के जरिए अलग-अलग देशों के यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है। इनमें इस्राइल का पहला एस्ट्रोनॉट और सऊदी अरब का अंतरिक्ष यात्री शामिल है। इसके अलावा इस कंपनी ने यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिकी एजेंसी नासा के साथ कई अंतरराष्ट्रीय मिशन्स को अंजाम दिया है।
एक्सिओम मिशन क्या है और यह क्यों अहम?
एक्सिओम-4 मिशन एक्सिओम कंपनी का चौथा मानव मिशन है। इसे नासा और स्पेसएक्स की मदद से अंजाम दिया जाएगा। इसके तहत एक्सिओम निजी, वाणिज्यिक स्पेसक्राफ्ट में चार अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस भेजेगा। अंतरिक्ष यात्री अपने लक्ष्यों के हिसाब से आईएसएस पर 60 से ज्यादा प्रयोग (एक्सपेरिमेंट) करेंगे। इन प्रयोगों के जरिए अंतरिक्ष के माहौल में इंसानों के शरीर पर पड़ने वाले असर, अंतरिक्ष में होने वाली खेती और पदार्थों से जुड़े विज्ञान (मैटेरियल साइंस) को समझने की कोशिश की जाएगी। एक्सिओम मिशन इस लिहाज से भी अहम है कि इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को सफलतापूर्वक दर्शाया जा सकता है। एक्सिओम-4 मिशन में जिन लोगों को आईएसएस पर भेजा जा रहा है, उनमें अमेरिका और भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी आईएसएस पर जा रहे हैं, जो कि कई दशकों में पहली बार हुआ है।


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