खबर रफ़्तार, लखनऊ : देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का अलख जगाने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) 16 अगस्त से शुरू हो रहे अपने 61वें स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में नौ दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। इसके माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेशों को जन जन तक पहुंचाने का काम किया जायेगा। इन कार्यक्रमों के जरिये पूरे देश में धर्मांतरण, लव जिहाद, थूक जिहाद को लेकर लोगों को जागरुक करने का काम किया जायेगा, साथ ही जाति और भाषाई सीमाओं से ऊपर उठकर क्षेत्रीय संस्कृतियों के साथ तालमेल भी बिठायेगा जायेगा।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने यूनिवार्ता से बातचीत में बताया कि, “आयोजन का उद्देश्य देश भर के हिंदू समुदाय को सांस्कृतिक मानदंडों पर एकजुट करना है और साथ ही अपने मूल हिंदुत्व सिद्धांत को लेकर जागरूक भी करना है। संगठन ने देश भर में कम से कम एक लाख स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। इसमें धार्मिक प्रवचन, सत्संग, प्रभात फेरी और शोभा यात्राएँ शामिल होंगी। इन कार्यक्रमों का संचालन स्थानीय स्तर पर गठित लगभग 90,000 समितियों द्वारा किया जाएगा।”
बंसल ने कहा, “इस तरह हम न केवल बड़े शहरों में बल्कि गाँवों में भी गहराई तक पहुँचेंगे। अकेले उत्तर प्रदेश में, विहिप कम से कम 8,000 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जिनमें अयोध्या, काशी (वाराणसी) और मथुरा जैसे हिंदुत्व के केंद्र शामिल हैं। कार्यक्रम स्थानीय संस्कृतियों और लोगों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए आयोजित किए जायेंगे। इस दौरान मंदिरों के अलावा, विहिप बौद्ध मठों, जैन मंदिरों और गुरुद्वारों तक भी पहुंचेगी।”
विहिप द्वारा रविदासिया और वाल्मीकि जैसे दलित समुदायों को भी इस अभियान में शामिल किए जाने की उम्मीद है। दरअसल विहिप के इस अभियान को सांस्कृतिक और हिंदुत्व संदेश के मिश्रण के रूप में देखा जा रहा है जिसका उद्देश्य अपने सामाजिक आधार को व्यापक बनाना और हिंदू समाज को जागरूक करना है। विश्लेषकों का कहना है कि देश भर में एक लाख स्थानों पर और अकेले उत्तर प्रदेश में 8,000 जगहों पर कार्यक्रम का आयोजन राम जन्मभूमि आंदोलन जैसे अभियानों की तरह ही है जिसका पूरे देश में व्यापक असर दिखाई देगा।
विहिप का मानना है कि इस अभियान की मदद से जमीनी स्तर पर पैठ बनाने के लिए किया जाएगा। इसका इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर विहिप-भाजपा वैचारिक तालमेल को मज़बूत करने, लोगों का मूड भांपने, भविष्य के राजनीतिक मुकाबलों के लिए कार्यकर्ताओं को संगठित करने और विपक्षी आख्यानों, खासकर जातिगत पहचान की राजनीति पर आधारित आख्यानों, का सामना करने के लिए किया जाएगा।
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