ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड की रजत जयंती पर गैरसैंण राजधानी का सवाल भी फिर चर्चा में हैं। गैरसैंण राजधानी बनेगी तो क्या दून का बोझ कम होगा। रोडमैप में धारण क्षमता का विश्लेषण भी जरूरी है।
उत्तराखंड में गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की चर्चाओं के बीच भविष्य के रोडमैप का सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देहरादून की तरह गैरसैंण अनियंत्रित विकास, बढ़ती आबादी का बोझ वहन कर सकेगा। क्या गैरसैंण में विधानसभा सत्र होने के बाद अधिकारियों को दून आने से रोका जा सकेगा। क्या वहां इतना इंफ्रास्ट्रक्चर हो सकेगा कि लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं आसानी से मिल सकें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि राजधानी का स्थानांतरण सिर्फ प्रतीकात्मक निर्णय नहीं होना चाहिए बल्कि इसके साथ ठोस योजना और धारण क्षमता का वैज्ञानिक अध्ययन अनिवार्य है। राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 की जनगणना में देहरादून शहर की आबादी करीब 4.26 लाख थी जो कि 2011 की जनगणना में बढ़कर 5.75 लाख का आंकड़ा पार कर गई। 2025 में देहरादून शहर की आबादी करीब 10 लाख पहुंच चुकी है। ट्रैफिक जाम, जल संकट और प्रदूषण जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। 2023 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) की रिपोर्ट के अनुसार, दून की जनसंख्या हर साल 3-4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है जबकि आधारभूत ढांचा सिर्फ एक प्रतिशत की रफ्तार से विकसित हो पा रहा है।

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