सरकारी स्कूलों की बदहाली पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, 11 को होगी अगली सुनवाई

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खबर रफ़्तार, चंपावत:  सरकारी स्कूलों में भवन, शौचालय, पेयजल की बदहाली व शिक्षकों की कमी के मामले में हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में न्यायालय ने मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, चंपावत डीएम समेत अन्य अधिकारियों नोटिस जारी किया है। संबंधित से छह सप्ताह में जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तिथि नियत की है।

देवीधुरा निवासी आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश बिष्ट ने अधिवक्ता केके शर्मा के माध्यम से नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कहा कि चंपावत जिले में सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत खराब है। कई स्कूल भवन जर्जर हैं। छत, दरवाजे टूटे हुए हैं। शौचालय गंदे हैं।

  • खराब है स्कूल की हालत

उत्तराखंड में स्कूलों का ये हाल है कि दो वर्ष पहले स्कूल परिसर में बना शौचालय गिरने से एक छात्र की मृत्यु हो गई थी। स्कूल ड्रेस, किताबें समय पर नहीं मिल रही। विज्ञान, संस्कृत, गणित, अंग्रेज जैसे विषयों के शिक्षक हैं। स्कूलों के भ्रमण के दौरान के फोटोग्राफ भी याचिका में समाहित किए गए हैं।

  • मानवाधिकार का हो रहा है हनन

मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की संयुक्त पीठ में हुई। याचिका में स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने, जर्जर भवनों की मरम्मत करने, इंटरनेट व बिजली-पानी की उपलब्धता कराए जाने का आग्रह किया है। बिना इसके छात्र-छात्राओं के शिक्षा जैसे मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। बुधवार को जारी आदेश में कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से छह सप्ताह में जवाब मांगा है।

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