उत्तराखंड के धारों-नालों और नदियों को मिलेगा नया जीवन, जलस्रोतों को पुनर्जीवन देने के उद्देश्य, सारा का हुआ गठन

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ख़बर रफ़्तार, देहरादून:  जलस्रोतों को पुनर्जीवन देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ‘कैच द रेन’ कार्यक्रम शुरू किया है। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी वर्षा की बूंदों को सहेजकर नौले-धारे व नदियों के संरक्षण एवं पुनरूद्धार के लिए धामी सरकार कदम उठाने जा रही है।

कैबिनेट की सोमवार को हुई बैठक में इसके लिए जलागम निदेशालय के अंतर्गत राज्य स्तरीय स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथारिटी (सारा) के गठन को हरी झंडी दे दी गई। इस योजना के तहत अंतर्गत राज्य से लेकर ग्राम स्तर तक चार समितियां गठित की जाएंगी। राज्य में सभी नौले-धारे व नदियों का एटलस तैयार कर वर्षा जल संरक्षण के उपायों के दृष्टिगत मास्टर प्लान बनाया जाएगा।

इसी क्रम में एकीकृत प्रयास करने के दृष्टिगत सारा के गठन का निश्चय किया गया। कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को चर्चा के बाद स्वीकृति दे दी गई। सारा का गठन जलागम निदेशालय के अंतर्गत सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया जाएगा। सारा के लिए 195 पदों की स्वीकृति दी गई है। सारा के तहत चार समितियां गठित होंगी।

उच्चाधिकार प्राप्त समिति होगी गठित

उच्चाधिकार प्राप्त समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी, जबकि राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति जलागम के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव अथवा सचिव की अध्यक्षता में होगी। इसके अलावा प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यकारी समिति होगी। ग्राम स्तर पर धारा नौला संरक्षण समितियां ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में गठित की जाएंगी। ग्राम स्तरीय समिति में महिला समूहों की दो सदस्य भी शामिल की जाएंगी।

वित्त पोषण के लिए ली जाएगी मदद

सारा के तहत संचालित होने वाली योजनाओं के वित्त पोषण के लिए बाह्य सहायतित योजनाओं की मदद भी ली जाएगी। अनुश्रवण को बनेगा डैश बोर्ड सारा के माध्यम से नौले-धारे व नदियों में वर्षा जल संरक्षण के लिए बनने वाली चेकडैम निर्माण समेत अन्य योजनाओं के मूल्यांकन व अनुश्रवण के लिए डैश बोर्ड भी बनेगा। इस कार्य का जिम्मा बाह्य मूल्यांकन एजेंसी को दिया जाएगा।

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