कोटद्वार में आपदा से प्रभावित परिवारों को अभी तक नहीं मिला लाभ, बीमारियों का बढ़ा खतरा

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खबर रफ़्तार, देहरादून : उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने राज्य में ज्यादा क्षति पहुंचाई। अब भले ही अब वर्षा का प्रकोप थोड़ा थम गया हो, लेकिन, अतिवृष्टि के कारण बेघर हुए काशीरामपुर तल्ला में कई परिवार अब भी सड़क किनारे टेंट लगाकर दिन काट रहे हैं।

सड़क किनारे जगह-जगह जमा वर्षा के पानी व कीचड़ से परिवारों को संक्रामक बीमारियों का खतरा सताने लगा है। ऐसे में इन परिवारों ने शासन-प्रशासन से जल्द उनके पुनर्वास की मांग की है। 13 अगस्त की रात हुई अतिवृष्टि से उफान पर बनी खोह नदी लकड़ीपड़ाव, झूलाबस्ती व काशीरामपुर तल्ला में 21 पक्के भवनों को ढहा दिया।

  • बेघर हुए परिवार राहत शिविर

आशियाना ढहने के बाद बेघर हुए परिवारों को राहत शिविरों में शरण दी गई। लेकिन, धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने के बाद बारात घरों में बने राहत शिविर भी बंद होने लगे हैं। ऐसे कुछ परिवार तो किराए के कमरों में चल गए। लेकिन, कई अब भी काशीरामपुर तल्ला में टेंट लगाकर रहने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में टेंट लगाकर रह रहे परिवारों के समक्ष कई समस्याएं उत्पन्न होने लगी है।

  • दुर्गंध मार रहा है जमा हुआ पानी

सड़क किनारे जगह-जगह जमा वर्षा का पानी व कीचड़ अब दुर्गंध मारने लगा है। ऐसे में परिवारों का टेंट के भीतर रहना भी दूभर हो गया है। सबसे अधिक चिंता छोटे बच्चों की बनी हुई है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की टीम समय-समय पर पहुंचकर इन परिवारों के स्वास्थ्य की जांच भी कर रही है। बुखार-सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्तियों को दवा भी उपलब्ध करवाई जा रही है।

  • ‘कब तक रहें टेंट में’

काशीरामपुर तल्ला स्थिति कई परिवार भवन ढहने के बाद पिछले 15 दिन से टेंट में रह रहे हैं। विभिन्न संस्थाओं की ओर से परिवारों को खाना-पीना उपलब्ध करवाया जा रहा है। लेकिन, बेघर हुए यह परिवार आखिर कब तक टेंट में अपना जीवन व्यतीत करते रहेंगे यह बड़ा सवाल है।

जबकि, यह अधिकांश परिवार मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार की आर्थिकी चलाते हैं। पीड़ित परिवारों ने सरकार से उन्हें पुनर्वास उपलब्ध करवाने के लिए योजना बनाने की मांग की है। कहा कि बेघर परिवारों के हित में सरकार को गंभीरता से कार्य करना होगा।

 

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