ख़बर रफ़्तार, देहरादून: राजभवन में राज्य विश्वविद्यालय विधेयक फिर लटक गया है। पूर्व में राजभवन से लौटाए जाने के बाद सितंबर में हुए उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में इसे पारित कर राजभवन भेजा गया था। राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक विधेयक को अभी मंजूरी नहीं मिली है।
संबद्धता को लेकर भी उठाया गया था सवाल
राजभवन से विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाए जाने के बाद बताया गया कि कुछ आपत्तियों को दूर कर उसे फिर से भेजा गया है। गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री डीके त्यागी के मुताबिक राज्य विश्वविद्यालय विधेयक में अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता और उनके शिक्षकों के वेतन को लेकर स्पष्ट नहीं किया गया है।
यह कहना है सरकार का
देहरादून। राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल के पास है। सरकार इसके लिए तीन लोगों के नाम के पैनल की सिफारिश कर इसे राजभवन भेजती हैं। राज्यपाल इनमें से जिसे उपयुक्त पाते हैं, कुलपति के पद पर उसकी नियुक्ति करते हैं, लेकिन सरकार चाहती है कि कुलपति की नियुक्ति के लिए सरकार सबसे उपयुक्त व्यक्ति का नाम राजभवन भेजे। जिसकी इस पद पर नियुक्ति की जाए। वहीं पीएचडी की मानद उपाधि के लिए भी राजभवन के अधिकार को कमतर करने और महाविद्यालयों की संबद्धता को लेकर राजभवन से पूर्व में आपत्ति लग चुकी है।
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