ख़बर रफ़्तार, ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में हर दिन करीब 30 से 40 कैंसर के नए मरीज आते हैं। जिनमें 5 से 6 महिलाएं स्तन कैंसर व 3 से 4 महिलाएं बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से पीड़ित होती हैं। एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि महिलाओं में स्तन कैंसर का प्रमुख कारण पाश्चात्य संस्कृति की ओर रुझान व जागरुकता की कमी है।
बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के नहीं होते प्रारंभिक लक्षण
एम्स गायनी विभाग की कैंसर विशेषज्ञ प्रो. शालिनी राजाराम कहती है कि बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के प्रारंभिक लक्षण नहीं होते। जब मरीज में लक्षण दिखाई देने शुरू होते हैं तो वह एडवांस स्टेज का होता है। इस कैंसर से बचाव के लिए स्क्रीनिंग व टीकाकरण जरूरी है। हर महिला को 30 साल की उम्र पार करने के बाद नियमित रूप से स्क्रीनिंग करानी चाहिए। साथ ही 9 से 14 साल तक की आयु तक टीकाकरण अवश्य कराना चाहिए। यह उम्र टीकाकरण के लिए सबसे बेहतर है। लेकिन 26 साल की उम्र तक भी टीकाकरण कराया जा सकता है।
कहा कि बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से बचाव के लिए टीका बाजार में उपलब्ध है। बच्चेदानी के मुंह का कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) है। इससे कोशिकाओं में बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से जननांगों पर मस्से या प्रीकैंसर या गर्भाशय ग्रीवा, योनि, वल्वा, गुदा के कैंसर होते हैं।
एम्स में होती है हर रोज स्क्रीनिंग
प्रो. शालिनी ने बताया कि एम्स के गायनी विभाग में पहुंचने वाली महिलाओं की स्कीनिंग की जाती है। यह सुविधा एम्स में पिछले वर्ष अगस्त माह से शुरू कर गई थी। अगस्त से दिसंबर तक 600 महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई है। जिसमें करीब पांच फीसदी महिलाओं में बच्चेदानी के मुंह का प्री कैंसर पाया गया। जिनका कि एम्स में उपचार चल रहा है।
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पुरुषों में बढ़ रहा मुंह का कैंसर
एम्स ऑन्कोलॉजी विभाग के डाॅ. दीपक सुंद्रियाल ने बताया कि पुरुषों में मुंह का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। एम्स में प्रतिदिन 6 से 7 मरीज मुंह के कैंसर के पहुंच रहे हैं। गुटखा व तंबाकू जनित उत्पादों का सेवन मुंह के कैंसर का प्रमुख कारण है। युवा व अधिकांश पुरुष तंबाकू उत्पादों का बहुतायत में प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एम्स में अलग-अलग विभागों में प्रतिदिन 30 से 40 कैंसर के मरीज आते हैं।
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