ख़बर रफ़्तार, उत्तरकाशी: तांबाखाणी सुरंग की बदहाल स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। सुरंग में वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था के कोई इंतजाम नहीं है। सुरंग में बत्ती गुल होने पर लोग मोबाइल की रोशनी में आवाजाही करने को मजबूर हैं। वहीं सुरंग में पानी के रिसाव और गंदगी की भी समस्या बनी हुई है।
जिला मुख्यालय में तांबाखाणी सुरंग का निर्माण वरूणावत पैकेज से हुआ। करीब 13 करोड़ रूपए की लागत से बनी 370 मीटर लंबी यह सुरंग गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही का मुख्य जरिया है। लेकिन सुरंग में पानी के रिसाव और गंदगी के चलते यह बदहाल बनी हुई है। सुरंग निर्माण के दौरान भी वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था की तरफ ध्यान नहीं दिया गया।
बत्ती गुल होने पर परेशानी
कुछ समय पूर्व जिला प्रशासन ने यहां एलईडी लाइटें तो लगवाईं, लेकिन वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था केे लिए कोई इंतजाम नहीं किए। इस कारण सुरंग में बत्ती गुल होने पर अंधेरा छाया रहता है। जिसके चलते लोग मोबाइल की रोशनी में आवाजाही करने को मजबूर होते हैं।
बुधवार को सुरंग में करीब दिनभर लाइटें बंद रहीं। इसके चलते लोगों को मोबाइल की रोशनी में आवाजाही करनी पड़ी। फुटपाथ पर पसरी गंदगी के चलते लोग सुरंग की मुख्य सड़क से आवाजाही करते हैं। ऐसे में यहां रफ्तार से दौड़ते वाहनों से दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है।
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सुरंग हैंडओवर की कार्रवाई भी नहीं हो पाई पूरी
निर्माण के बाद से यह सुरंग किसी विभाग के हैंडओवर नहीं हो पाई है। जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर बीआरओ ने सुरंग को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए प्रस्ताव भेजा है। बीआरओ के कमांडर विवेक श्रीवास्तव का कहना है कि प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर ही वह इस पर कोई कार्यवाही कर पाएंगे।

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