बाढ़ में डूबा जीवन: कोटली खेहरा की दर्दनाक कहानी

खबर रफ़्तार, सीमांत गांव कोटली खेहरा: अमृतसर के सरहदी गांंव कोटली खेहरा में रावी का कहर बरपा है। पानी के कारण गांव का सरकारी स्कूल और डिस्पेंसरी वीरान टापू की तरह दिखते हैं। इनके चारों ओर गंदा पानी जमा है। खेल का मैदान गंदे तालाब में तब्दील हो चुका है।

बाढ़ में घिरा पंजाब का सीमांत गांव कोटली खेहरा आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। रावी दरिया के रौद्र रूप व धुस्सी बांध टूटने से इस गांव में भारी तबाही हुई है।

बाढ़ में घिरे यहां के लोगों में अब गांव में महामारी फैलने का खौफ है। गांव में एक अजीब सी गंध हवा में फैली है। यह गंध सड़े हुए अनाज, गाद और ठहरे हुए पानी की है।

रावी के पानी ने सब तहस नहस किया

गांव के बुजुर्ग हरमिंदर सिंह पानी में डूबे खेतों को देख भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि रावी का पानी जब धुस्सी बांध तोड़कर गांव में घुसा तो देखते ही देखते चार फीट जलभराव हो गया। लोग जान बचाकर बच्चों को लेकर ऊंची जगहों की ओर भागे। घर, सामान, जानवर सब कुछ पानी में घिर गया। उनकी आवाज में दर्द और बेबसी साफ झलक रही थी।

गाद-गंदगी ने नरक बनाई जिंदगी

हालांकि, अब जलस्तर कम होकर ढाई से तीन फीट रह गया है लेकिन यह ठहरा हुआ पानी नई चुनौती को जन्म दे रहा है। बलबीर सिंह ने बताया कि पानी तो उतर रहा है लेकिन अपने पीछे जो गाद और गंदगी छोड़ गया है, उसने हमारी जिंदगी को नरक बना दिया है। दिन में मक्खियां परेशान करती हैं तो रात में मच्छर सोने नहीं देते। गांव वाले और प्रशासन की टीमें टूटी हुई नहर को बांधने की कोशिशों में दिनरात जुटे हैं। ठहरे हुए पानी के कारण गांव में संक्रामक रोगों का खतरा मंडराने लगा है।

गांव के हर घर में बीमार

हरजोत अपने छोटे बच्चे को गोद में लिए चिंता जताता हैं कि गांव के लगभग हर घर में कोई न कोई बीमार है। किसी को त्वचा पर खुजली और फुंसियां हो रही हैं, तो कोई तेज बुखार और बदन दर्द से तड़प रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव तक पहुंच तो कर रही हैं, लेकिन जलभराव के कारण रास्ते बंद हैं। जहां तक वे पहुंच भी पा रहे हैं, वहां दवाओं का छिड़काव और सफाई करवा रहे हैं।

कई मकान ढह गए, कई रहने लायक नहीं

ग्रामीणों में अब एक नया खौफ घर कर गया है कि कहीं गांव में पीलिया, हैजा और टायफाइड जैसी महामारी न फैल जाए। सैकड़ों एकड़ फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो चुकी है। कई लोगों के मकान या तो ढह गए हैं या रहने लायक नहीं बचे। लोगों का रोजगार छिन गया है। लोगों की मांग है कि गांव में तत्काल मेडिकल कैंप लगाए जाएं। फोगिंग करवाई जाए। बर्बाद फसलों और तबाह हुए रोजगार के लिए सरकार तुरंत मुआवजे का एलान करे। जिन लोगों के घर बाढ़ में गिर गए हैं, उनकी मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

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