खबर रफ़्तार ,उत्तरकाशी: नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) द्रौपदी का डांडा (डीकेडी) क्षेत्र में वर्ष 1975 यानी 47 साल से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण अभियान आयोजित करता आ रहा है।
सबसे निकटवर्ती ग्लेशियर डोकराणी बामक
उत्तरकाशी से द्रौपदी का डांडा का यह क्षेत्र करीब 62 किमी दूर है। इस चोटी की तलहटी में जिला मुख्यालय उत्तरकाशी का सबसे निकटवर्ती डोकराणी बामक ग्लेशियर पड़ता है।
- समुद्रतल से 18600 फीट की ऊंचाई पर स्थित डीकेडी जाने के लिए पहले उत्तरकाशी से 40 किमी सड़क मार्ग से भटवाड़ी पहुंचना पड़ता है। फिर पैदल मार्ग शुरू होता है। तीन किमी की दूरी पर भुक्की गांव है और यहां से तीन किमी आगे तेल कैंप।
बेस कैंप से ढाई किमी की दूरी पर है एडवांस बेस कैंप
इसके बाद तीन किमी दूर गुर्जर हट, जहां गुर्जरों की छानियां हैं और आगे चार किमी के फासले पर बुग्याली क्षेत्र में बेस कैंप पड़ता है। बेस कैंप से ढाई किमी की दूरी पर एडवांस बेस कैंप है। यहां से डोकराणी बामक ग्लेशियर की दूरी करीब ढाई किमी है, जहां समिट कैंप लगाया जाता है।
पांडवों की स्वर्गारोहिणी यात्रा से जुड़ा है यह क्षेत्र
चारधाम विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष सूरतराम नौटियाल मान्यताओं के हवाले से बताते हैं कि स्वर्गारोहणी यात्रा के दौरान पांडव इसी क्षेत्र से होकर आगे बढ़े थे। पूरा हिमालयी क्षेत्र नजर आने से इस पर्वत का नाम द्रौपदी का डांडा रखा गया।
निम ने जबसे इस शिखर पर पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देना शुरू किया, इसका नाम संक्षेप में डीकेडी कर दिया। आज भी भटवाड़ी क्षेत्र के ग्रामीण इस पर्वत की पूजा करते हैं। वह इसकी तलहाटी में स्थित खेड़ा ताल को नाग देवता का ताल मानते हैं। हर वर्ष सावन में ग्रामीण इस ताल में पूजा-अर्चना के लिए जाते हैं।
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