खबर रफ़्तार, मसूरी: जिन सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम ‘माउंट एवरेस्ट’ रखा गया, उन्होंने जीवन का लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में गुजारा था। देश की प्रधान मानचित्रण और सर्वेक्षण एजेंसी भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे आफ इंडिया) की नींव ब्रिटिश फौज में लेफ्टिनेंट कर्नल जार्ज एवरेस्ट ने ही रखी थी। उन्होंने वर्ष 1832 में मसूरी स्थित हाथीपांव के पार्क एस्टेट क्षेत्र में इसकी स्थापना की थी। तब इसे रायल ग्रेट टिग्नोमेंट्रिकल सर्वे आफ इंडिया के नाम से जाना जाता था।
कालांतर में सर्वे आफ इंडिया का मुख्यालय देहरादून स्थानांतरित हो गया। इस संस्थान के पहले सर्वेयर जनरल होने का गौरव भी जार्ज एवरेस्ट को ही मिला। इतिहासकार जयप्रकाश उत्तराखंडी बताते हैं कि वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने मसूरी में गांधी चौक लाइब्रेरी बाजार से लगभग छह किमी की दूरी पर स्थित पार्क एस्टेट में ही अपना आवास और प्रयोगशाला स्थापित की। इसी प्रयोगशाला में उन्होंने माउंट एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन पता लगाई।
ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वा की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर हुआ। इससे पहले इस चोटी को ‘पीक-15’ नाम से जाना जाता था। जबकि, तिब्बती लोग इसे ‘चोमोलुंग्मा’ और नेपाली ‘सागरमाथा’ कहते थे। मसूरी स्थित सर जार्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया। जार्ज वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे। उन्होंने चोटियों की खोज करने और ऊंचाई नापने में जिन यंत्रों का प्रयोग किया, वह आज भी सर्वे आफ इंडिया के मुख्यालय में सुरक्षित हैं।
- 23 करोड़ से हुआ जार्ज एवरेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार
172 एकड़ भूभाग में बने जार्ज एवरेस्ट हाउस और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला का कुछ समय पहले प्रदेश सरकार ने एशियन डेवलप बैंक के सहयोग से 23.71 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार कराया है। इस घर और प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 1832 में हुआ था। यहां से दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है। यह घर अब सर्वे आफ इंडिया की देख-रेख में है। यहां बने पानी के भूमिगत रिजर्व वायर आज भी कौतुहल का विषय बने हुए हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर को निहारने हर साल बड़ी तादाद में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
- रायल आर्टिलरी के प्रशिक्षित कैडेट थे जार्ज
जार्ज एवरेस्ट का जन्म चार जुलाई 1790 को क्रिकवेल (यूनाइटेड किंगडम) में पीटर एवरेस्ट और एलिजाबेथ एवरेस्ट के घर हुआ था। उन्होंने रायल आर्टिलरी में कैडेट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष 1806 में इन्हें कोलकाता व वाराणसी के मध्य संचार व्यवस्था कायम करने के लिए टेलीग्राफ स्थापित और संचालित करने को भारत भेजा गया। वर्ष 1816 में जार्ज, जावा (सुमात्रा) के गवर्नर सर स्टैमफोर्ड रैफल्स के कहने पर इस द्वीप का सर्वेक्षण करने चले गए।
यहां से वह वर्ष 1818 में भारत लौटे और सर्वेयर जनरल लैंबटन के मुख्य सहायक बने। वर्ष 1830 में जार्ज भारत के महासर्वेक्षक नियुक्त हुए। एक दिसंबर 1866 को लंदन के हाईड पार्क गार्डन स्थित घर में उन्होंने अंतिम सांस ली।
- अनेक चोटियों की मापी ऊंचाई
जार्ज एवरेस्ट ने 20 इंच के थियोडोलाइट यंत्र का निर्माण किया और इससे अनेक चोटियों की ऊंचाई मापी। वर्ष 1862 में वह रायल जियोग्राफिकल सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट बने। उन्होंने ऐसे उपकरण तैयार कराए, जिनसे सर्वे का सटीक आकलन किया जा सकता है।
- चीफ कंप्यूटर’ की रही अहम भूमिका
उस दौर में चोटियों की ऊंचाई की गणना के लिए कंप्यूटर नहीं होते थे। इसलिए गणना करने वाले व्यक्ति को ही कंप्यूटर कहा जाता था। ‘पीक-15’ की ऊंचाई की गणना में चीफ कंप्यूटर की भूमिका गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने निभाई थी। अन्य चोटियों की ऊंचाई की गणना में भी उनकी अहम भूमिका रही।