ख़बर रफ़्तार, देहरादून: कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार पर दून वैली के विनाश का आरोप लगाया है. पार्टी ने कहा कि राज्य की सरकार दून घाटी में स्लाटर हाउस, माइनिंग, इंडस्ट्रियलिज्म की बात तो कर रही है, लेकिन यह केंद्र सरकार से पास हुए दून वैली एक्ट 1989 के खिलाफ है.
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अभिनव थापर का कहना है कि दून घाटी के 15 लाख निवासियों और पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार को दून घाटी अधिसूचना 1989 निष्क्रिय करने का निर्णय वापस लेना होगा. उन्होंने कहा कि दून वैली अधिसूचना 1989 में 1 फरवरी 1989 को दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण मुक्त और अन्य पर्यावरण के विषय पर संवेदनशील होने के कारण पर लाइम स्टोन माइनिंग और एयर क्वालिटी इंडेक्स के सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट के 30 अगस्त 1988 के निर्देश के अनुसार दून घाटी का प्रावधान किया गया था.
इसके तहत देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्र जैसे मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, विकासनगर, ऋषिकेश और इन क्षेत्रों के आसपास के इलाकों को बचाने के लिए यह प्रावधान किया गया था. लेकिन राज्य की सरकार के प्रस्ताव पर पर्यावरण वन व जलवायु मंत्रालय ने 21 दिसंबर 2023 को दून घाटी अधिसूचना 1989 निष्क्रिय करने के लिए शासनादेश जारी किया. अभिनव थापर का कहना है कि केंद्र सरकार दून घाटी को संरक्षित करने और पर्यावरण सुधार के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत 2021 में लगभग 68 करोड़ रुपए दे चुकी है. उसके बावजूद प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के खिलाफ जाने का काम कर रही है.
थापर का कहना है कि राज्य की सरकार खुद मोदी सरकार के खिलाफ जाकर न सिर्फ दून वैली का विनाश कर रही है, बल्कि यह प्रदेश के लिए भी एक बहुत बड़ा खतरा है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार दून घाटी अधिसूचना हटाने का काम कर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के NCAP प्रोग्राम की अनदेखी करते हुए दून घाटी अधिसूचना को हटाने का निर्णय लिया है.
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