ख़बर रफ़्तार, उत्तरकाशी: उत्तराखंड के चारधामों में एक गंगोत्री से हर कोई परिचित है। इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में ही जीवनदायिनी गंगा का उद्गम है तो यह तप साधना की स्थली भी है।
उत्तराखंड के चार धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में से केवल गंगोत्री धाम स्थित सिंचाई भवन गंगोत्री पुरी को मतदान केंद्र बनाया गया है। पहली बार वर्ष 2019 में यहां मतदान केंद्र बनाया गया था, जो इस बार भी बरकरार है। इस मतदान केंद्र के अंतर्गत आने वाले मतदाताओं में 11 महिला साध्वी हैं। इसके अलावा 80 वर्ष से अधिक उम्र के दो मतदाता भी शामिल हैं।
गंगोत्री धाम में सदियों से कई साधु संत तप साधना करते आ रहे हैं। वर्तमान में साधुओं व आश्रम संचालकों सहित गंगोत्री में 82 मतदाता हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गंगोत्री पुरी को मतदान केंद्र बनाने से पहले यहां के मतदाताओं को मताधिकार का प्रयोग करने के लिए 25 किलोमीटर दूर धराली आना पड़ता था। उनकी कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए इसे मतदान केंद्र बनाया गया, ताकि कोई भी मतदाता लोकतंत्र के महापर्व में आहुति देने से वंचित न रह सके।
गंगोत्री में साधना करने वाले स्वामी संतोष ने बताया कि लोकतंत्र के महापर्व को लेकर यहां साधु संतों में उत्साह है। हर दिन संतों के बीच देश में चल रही राजनीति गतिविधियों को लेकर चर्चा होती है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के निर्णयों पर भी विमर्श होता है।
उन्होंने कहा कि यह सबसे अधिक खुशी की बात है कि इस बार भी गंगोत्री पुरी को मतदान केंद्र बनाया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जब पहली बार यह मतदान केंद्र बना तो साधु संतों ने उत्साह के साथ मताधिकार का प्रयोग किया। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी साधु संतों ने इसी मतदान केंद्र में मतदान किया था।
मौसम बन सकता है चुनौती
राज्य का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र गंगोत्री पुरी, सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस सीमावर्ती सड़क को सुचारु रखने के लिए सीमा सड़क संगठन चप्पे-चप्पे पर तैनात है। बावजूद इसके मौसम चुनौती खड़ी कर सकता है। हालांकि, माना जा रहा है कि अप्रैल माह में मौसम अनुकूल रहेगा।
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