तिहाड़ में वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठक चाहते हैं केजरीवाल, दिल्ली HC ने CM की याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित

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ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली:  दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अरविंद केजरीवाल की जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त कानूनी बैठकों की मांग वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। उनकी याचिका का जेल अधिकारियों और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील ने विरोध किया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। अरविंद केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता पेश हुए।

जेल अधिकारी पहले ही याचिका पर जवाब दाखिल कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जेल नियम अतिरिक्त मुलाकात की अनुमति नहीं देता है। मीटिंग का फॉर्मेट फिजिकल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि आवेदन विचार योग्य नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद आरोपी अब ईडी की हिरासत में नहीं है।

केजरीवाल सीबीआई मामले में न्यायिक हिरासत में

हालांकि, केजरीवाल आबकारी नीति से जुड़े एक सीबीआई मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी के वकील ने यह भी कहा कि जेल में सभी आरोपियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। सभी को केवल दो कानूनी बैठकों की अनुमति दी गई है। दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने दलीलों का विरोध किया और तर्क दिया कि उन्हें दो अतिरिक्त कानूनी बैठकें देने में कोई नुकसान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी ने अन्य आरोपियों को दी गई सुविधा का विरोध नहीं किया।

राऊज एवेन्यू कोर्ट में याचिका पहले ही हो चुकी है खारिज

वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए और कहा कि आवेदक अपने वकील के साथ अतिरिक्त कानूनी बैठक की मांग कर रहा है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1 जुलाई को केजरीवाल को तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के जरिए अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठकों से इनकार कर दिया था। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी। उन्होंने वीसी के माध्यम से अपने वकीलों के साथ दो अतिरिक्त बैठकें करने की अनुमति देने के लिए जेल अधिकारियों को निर्देश देने के लिए एक आवेदन दायर किया था।

केजरीवाल की मांग पर न्यायाधीश की टिप्पणी

विशेष न्यायाधीश ने कहा, “आवेदक के वकील अदालत को यह समझाने में विफल रहे हैं कि आवेदक उसी आधार पर वीसी के माध्यम से दो अतिरिक्त कानूनी बैठकों का हकदार कैसे है, जिस पर पहले के आदेश में चर्चा की गई थी और जिसे निपटाया गया था। ऐसा प्रतीत होता है विचाराधीन आवेदन की सामग्री के आधार पर अलग दृष्टिकोण अपनाने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।”

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