अगली कड़ी में हिंदू देवी- देवताओं के प्रति कैसे घृणा भरी जाए और वेशभूषा कैसी हो, इसकी समझ को विकसित करने की तैयारी थी। मधपुर में कोठी का निर्माण वर्ष 2022 में शुरू हुआ था, अभी निर्माण पूरी तरह हो नहीं सका था।
बलरामपुर के मधपुर में स्थित छांगुर का मकान
कोठी का निर्माण कराने वाले वसीउद्दीन ने बताया कि कोठी को अभी अलग नहीं कराया था। पिलर पर पूरी कोठी खड़ी की गई थी, जिससे छांगुर अपने हिसाब से कमरों में बांट सके। उन्होंने बताया कि निर्माण के समय ही उन्हें आभास हो गया था कि कुछ गलत कार्य के लिए ही कोठी बनाई जा रही है, लेकिन छांगुर ने उन्हें बताया था कि वह विद्यालय खोलना चाहता था।
बलरामपुर के मधपुर उतरौला में ढहाया गया गेट
इसके बाद कहा कि अस्पताल भी खोलेगा। इस तरह वह झूठ ही बोलता रहा। अब वह कोठी तो गिर गई है, लेकिन अब भी कुछ भाग शेष रह गया है। इस तरह छांगुर की योजना बड़ी घातक थी।
गोंडा में भी एटीएस करेगी छांगुर के अड्डे की पड़ताल
उतरौला के छांगुर की गोंडा में भी जड़ें गहरी हो गई थीं। धानेपुर क्षेत्र के रेतवागाड़ा में उसकी पैठ बताई जा रही है। एटीएस को रेतवागाड़ा के रमजान की तलाश है, जिससे छांगुर के अन्य सहयोगियों का पता चल सके। अयोध्या के करीब होने के कारण छांगुर गोंडा में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा था।
इसके लिए रेतवागाड़ा के रमजान को सहयोगी बनाया था और उसके जरिए वजीरगंज व नवाबगंज तक प्रभाव जमा रहा था। एटीएस जानकारी जुटाने में लगी है। ऐसे में कभी भी एटीएस के कदम गोंडा की ओर बढ़ सकते हैं।
रेहरामाफी और मधपुर के लोगों के खातों में भी आए विदेश से फंड
छांगुर को धर्म परिवर्तन कराने पर विदेशी फंड मिलने की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। छांगुर के साथ ही नीतू और नवीन के खातों में अब तक सौ करोड़ से अधिक के फंड आने की पुष्टि हो चुकी है। अन्य खातों की जांच हो रही है। इसी बीच एटीएस के हाथ कई अहम जानकारी मिली है।
सूत्रों के अनुसार उतरौला क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग खाड़ी देशों में रहते हैं, जिनके खातों में वेतन के रूप में रुपये आते हैं, लेकिन तीन-चार लोग ऐसे हैं जो कभी विदेश नहीं गए और उनके खातों में बाहर देशों से रुपये आए हैं। छांगुर के इन करीबियों पर एटीएस की नजर है। फिलहाल एटीएस बैंक स्टेटमेंट के साथ ही अन्य साक्ष्य जुटा रही है।
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