खबर रफ़्तार, नई दिल्ली: खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के कारण भारत और कनाडा के बीच विवाद पैदा हो गया है। हालांकि, निज्जर धार्मिक या सामाजिक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक आतंकवादी था, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
दीपा हेरनवाला का करीबी था निज्जर
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि हरदीप सिंह निज्जर गुरदीप सिंह उर्फ दीपा हेरनवाला का करीबी सहयोगी था। हेरनवाला 1980 के दशक के अंत में पंजाब में करीब 200 लोगों की हत्या में शामिल था। वह प्रतिबंधित खालिस्तान कमांडो फोर्स में शामिल था।
निज्जर 1996 में गिरफ्तारी के डर से कनाडा भाग गया था। यहां वह नशीली दवाओं की तस्करी और जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल हो गया। उसने ऐसा आतंकी गतिविधियों के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए किया।
भारत पर हमला करने के लिए युवाओं को कर रहा था प्रशिक्षित
हरदीप सिंह निज्जर ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक आतंकी शिविर में भारत पर हमला करने के लिए युवाओं को ट्रेनिंग दे रहा था। वह प्रतिबंधित आतंकी समूह खालिस्तान टाइगर फोर्स के ऑपरेशन चीफ भी रहे।
2012 में पाकिस्तान का किया दौरा
निज्जर ने 2012 में पाकिस्तान का दौरा किया था। इस दौरान वह अन्य प्रतिबंधित आतंकी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रमुख जगतार सिंह तारा के संपर्क में आया। तारा ने उसे हथियार मुहैया कराए।
तारा को निज्जर ने भेजे 10 लाख पाकिस्तानी रुपये
पीटीआई ने सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि निज्जर ने तारा को 10 लाख पाकिस्तानी रुपये भी भेजे। निज्जर भारत में कई साजिशों में शामिल रहा। उसने 2014 में तारा के कहने पर हरियाणा के सिरसा जिले में डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय पर आतंकी हमले की योजना बनाई थी। हालांकि, यह हमला नहीं हो सका, क्योंकि भारत ने निज्जर को वीजा देने से इनकार कर दिया था।
NIA ने निज्जर के खिलाफ दर्ज किए मामले
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने खालिस्तानी अलगाववादी मनदीप सिंह धालीवाल से जुड़े एक मॉड्यूल को खड़ा करने के लिए निज्जर के खिलाफ कई मामले दर्ज किए। उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया।
कनाडा में भारत के खिलाफ किया प्रदर्शन
निज्जर अन्य प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के कनाडा चैप्टर का प्रमुख भी था। उसने कनाडा में हिंसक भारत विरोधी प्रदर्शन भी आयोजित किया था और भारतीय राजनयिकों को धमकी भी दी थी। यही नहीं, निज्जर ने कनाडा में गुरुद्वारों द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भारतीय दूतावास के अधिकारियों के बुलाने पर भी प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था।