हल्द्वानी: खुफिया रिपोर्ट पर अमल होता तो सुलगने से बच जाता बनभूलपुरा, नहीं कराया गया ड्रोन सर्वे

खबरे शेयर करे -

ख़बर रफ़्तार,देहरादून:  हल्द्वानी का बनभूलपुरा उपद्रव और दंगे की आग में नहीं सुलगता यदि खुफिया रिपोर्ट की सूचना पर अमल कर लिया गया होता। दुर्भाग्य से पुलिस और प्रशासन विभाग ने खुफिया रिपोर्ट पर काम करने की जहमत नहीं उठाई, जिसकी बहुत बड़ी कीमत शांत हल्द्वानी को चुकानी पड़ी।

मुख्यमंत्री कार्यालय को पूरे घटनाक्रम के बारे में जो फीडबैक मिला है, उसके मुताबिक बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से पहले खुफिया विभाग ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दे दी थी।

सूत्रों के मुताबिक, खुफिया रिपोर्ट से यह अवगत करा दिया गया था कि अतिक्रमण अभियान शुरू करने से पहले वहां आबादी क्षेत्र का ड्रोन सर्वे करा लिया जाए, ताकि किसी भी तरह की उपद्रव या पथराव की संभावना का पता लगाया जा सके। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अभियान से पूर्व पर्याप्त संख्या में पुलिस और पीएसी की तैनाती कर दी जाए। यदि विवाद, उपद्रव या दंगा के हालात बनें तो कानून व्यवस्था कायम करने के लिए तत्काल एक्शन लिया जा सके।

बताया जा रहा है कि इंटेलीजेंस ने यह भी सूचना दी थी कि अतिक्रमण कर बनाए गए जिस धार्मिक स्थल के ढांचे को तोड़ा जाना है, वहां पवित्र किताब रखी है कि नहीं, यह भी पता लगा लिया जाए। इंटेलीजेंस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पवित्र किताब के वहां रखे होने की सूरत में उसे पूरी सावधानी और सम्मान के साथ बाहर निकाल कर उचित स्थान पर रखने के बाद ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हो।

सूत्रों के मुताबिक, इस पूरी कार्रवाई में इंटेलिजेंस की इन सभी सूचनाओं की अनदेखी हुई और अतिक्रमण अभियान शुरू कर दिया गया। पहले से पक्की तैयारी न होने के कारण पथराव में 150 पुलिस कर्मी घायल हुए। सरकारी और निजी कई वाहन और पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया गया। फायरिंग में कुछ लोगों की जान भी चली गई। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस पूरे घटनाक्रम को बहुत गंभीरता से लिया है। खासतौर पर इंटेलीजेंस की रिपोर्ट की अनदेखी को भी गंभीर माना है।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours