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Sunday, September 8, 2024
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उत्तराखंड में 1000 पदों पर अतिथि शिक्षकों की होगी भर्ती, इन विषयों के टीचर्स को मिलेगा मौका

ख़बर रफ़्तार, देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी माध्यमिक स्कूलों में एलटी और प्रवक्ता कैडर के रिक्त 1000 पदों पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। इस बार विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषय में अतिथि शिक्षकों की भर्ती होगी। सभी की नियुक्ति पर्वतीय दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में की जाएगी। गुरुवार को यमुना कॉलोनी स्थित अपने कैंप कार्यालय में विभागीय समीक्षा में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इसके निर्देश दिए।

सभी सीईओ को अपने-अपने जिले में रिक्त पदों की रिपोर्ट जल्द माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।

दिल्ली दौरे से लौटते ही शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक कर शिक्षकों की कमी को दूर करने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पूर्व में कैबिनेट राज्य में 5200 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है। वर्तमान में राज्य में केवल 4200 अतिथि शिक्षक ही तैनात हैं। शेष एक हजार पदों पर भर्ती की जाएगी।

बैठक में शैक्षिक गुणवत्ता पर भी चर्चा की गई। मंत्री ने अधिकारियों को इस बारे में निर्देशित किया। बैठक में अपर सचिव शिक्षा रंजना राजगुरू, एमएम सेमवाल, निदेशक- एससीईआरटी वंदना गर्ब्याल, निदेशक महावीर सिंह बिष्ट, एपीडी- समग्र शिक्षा अभियान डॉ. मुकुल सती, विकास श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

भर्ती का अतिथि शिक्षकों ने किया विरोध 

माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ ने 1000 नई भर्ती के फैसले का विरोध किया है। संघ के अध्यक्ष अभिषेक भट्ट और कार्यकारी अध्यक्ष आशीष जोशी ने कहा कि यह 9 साल से शिक्षण कार्य में लगे अतिथि शिक्षकों के साथ अन्याय है। सरकार ने इन अतिथि शिक्षकों के पदों को अभी तक सुरक्षित नहीं किया। उसके बावजूद भी अब नए अतिथि शिक्षकों को रखा जा रहा है। इसका पूर्ण विरोध किया जाएगा।

जर्जर स्कूलों की मरम्मत में ढिलाई पर जताई नाराजगी

शिक्षा मंत्री ने डी श्रेणी में आने वाले जर्जर स्कूलों की मरम्मत में ढिलाई पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी को निर्देश दिए कि सभी जिलों से डीपीआर मंगाकर शासन को उपलब्ध कराई जाए। जो कार्यदायी संस्थाएं निर्माण कार्य में ढिलाई कर रही हैं, उन्हें बदलने की तैयारी की जाए। इसके लिए नई कार्यदायी संस्था का प्रस्ताव बनाकर शासन को मुहैया कराया जाए। इसके साथ ही निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए शासन और निदेशालय स्तर के अधिकारियों को एक-एक जिले की जिम्मेदारी दी जाए।

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