ख़बर रफ़्तार, टांडा : नगर क्षेत्र धीरे-धीरे खाड़ी देशों से सोने की तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। यहां आधा दर्जन मुहल्ले के लोग इस धंधे से जुड़े हैं। सोने की तस्करी करने वालों का नेटवर्क तेजी से बढ़ने लगा है। अब तक 50 से अधिक युवा तस्करी के धंधे में जुड़ चुके हैं।
इस तरह होती है तस्करी
सोना तस्कर जान जोखिम में डालकर सोने की छोटी गोलियां बनाकर खा लेते हैं। सूत्रों की मानें तो इन गोलियों को शौच के जरिए निकाल लेते हैं। इसमें कई दिन लग जाते हैं। इसके लिए तस्करी करने वालों ने अपने घर पर टायलेट सीट में जाली लगवा रखी है। जाली में ही शौच करते हैं। पानी की तेज धार के साथ मल नीचे चला जाता है और सोने की गोलियां जाली पर रह जाती हैं। कई बार गोलियां खाने से तस्करों की तबीयत खराब भी हुई है।
तब वह चिकित्सक से संपर्क करते हैं। डेढ़ माह पहले एक सोना तस्कर की हालत गंभीर होने पर वह अल्ट्रा साउंड कराने गया था। संदेह होने पर अल्ट्रासाउंड संचालक ने पुलिस को सूचित कर दिया था। पुलिस ने उसे पकड़कर पूछताछ की थी, लेकिन बाद में बिना कार्रवाई के छोड़ दिया था। इस समय क्षेत्र के युवाओं की 10 टीम तस्करी में संलिप्त है। प्रत्येक टीम में पांच से छह लोग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कई लोग सऊदी अरब, दुबई, शारजाह आदि खाड़ी देशों से सोना, गुटखा तथा सिगरेट आदि की तस्करी कर रही हैं। मुहल्ला हाजीपुरा, भब्बलपुरी, पुराना बाजार, यूसुफ (चौक) आदि कई के लोग इस धंधे को लेकर काफी समय से चर्चा में हैं। विशेषकर मुहल्ला हाजीपुरा में ऐसे कई सरगना हैं जो इसी धंधे में अपनी पहुंच और रसूख के साथ मालामाल हो रहे हैं।
इसी मुहल्ले के दो तस्कर अभी भी दुबई जेल में बंद हैं। सोना तस्करी में एयरपोर्ट अधिकारियों व कर्मचारियों की भी अहम भूमिका होती है। तस्करों को पूरी जानकारी होती है कि कब और किस एयरपोर्ट पर किस अधिकारी की ड्यूटी है, इसलिए हर बार नए लोग पकड़े जाते हैं। इस बार सभी टीमों के सक्रिय सदस्य शामिल थे।
सोना तस्करों ने एयरपोर्ट पर कर्मचारियों को संदेह न हो, इसके लिए वह देश के अलग-अलग एयरपोर्ट का प्रयोग कर रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ आदि से उतर कर सोना खरीदने वालों को कुछ समय बाद ही मौके पर दे देते हैं और फिर से विदेश जाने की तैयारी में लग जाते हैं। पहले सोने की तस्करी के लिए ये लोग इंटरनेशनल फ्लाइट से उतरने के बाद डोमेस्टिक (घरेलू) फ्लाइट पकड़ते थे।
डोमेस्टिक फ्लाइट में पहले से उनके साथी यात्रा कर रहे होते है। जिन्हें वह सोना देकर आगे चले जाते हैं। घरेलू उड़ान यात्रियों की अधिक चेकिंग नहीं होती है। इससे सोना तस्कर आसानी से निकल जाते थे, लेकिन बाद में उनकी यह चाल कस्टम की नजर में आ गई। इसके बाद सोना पेट में लाने का तरीका ढूंढा। इस तरीके से लंबे समय से तस्करी की जा रही थी, लेकिन अब वह भी सार्वजनिक हो गई है।
सोना तस्करों ने इस काम में क्षेत्र के युवाओं को जोड़कर नेटवर्क तैयार कर लिया है। युवाओं को फ्री उमराह कराने के साथ ही उन्हें सोना तस्करी के बदले में 30 से 40 हजार रुपये देते हैं। इस लालच में युवा आसानी से फंस जाते हैं। लखनऊ में 36 लोगों के पकड़े जाने के बाद टांडा में सोना तस्करी का मामला फिर चर्चा में है। टांडा कोतवाली प्रभारी सुरेंद्र सिंह पचौरी का कहना है कि यह मामला कस्टम विभाग का है। यदि कोई कार्रवाई होती है तो विभाग को पूरा सहयोग किया जाएगा।

+ There are no comments
Add yours