
खबर रफ़्तार, हल्द्वानी: गर्मी बढ़ने के साथ ही गौला का जलस्तर भी लगातार गिरते जा रहा है जिससे बैराज को मिलने वाले पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। जहां पिछले साल अप्रैल माह में गौला का जलस्तर 120 क्यूसेक दर्ज किया गया था, वहीं इस साल यह गिरकर 95 क्यूसेक पर आ गया है। बारिश न होने पर आने वाले महीनों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। नदी का जलस्तर गिरने से पेयजल और सिंचाई संकट गहरा गया है। गौला का जलस्तर सोमवार को 95 क्यूसेक रिकॅार्ड किया गया। जिसमें जल संस्थान को प्रतिदिन 30 क्यूसेक पानी दिया जाता है। कठघरिया, बजुनियाहल्दू और दमुआढूंगा जैसे क्षेत्रों में अभी से पानी की भारी किल्लत देखी जा रही है। स्थानीय निवासी टैंकरों का इंतजार कर रहे हैं, पानी की आपूर्ति के लिए शहर की जनता को परेशान होना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि हर दिन जल संस्थान को शहर में पानी की आपूर्ति पूरी करने के लिए 90 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन घटते जलस्तर के कारण पानी की आपूर्ति करना मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में केवल 82 एमएलडी पानी की ही आपूर्ति हो पा रही है। जलस्तर कम होने से बैराज से मिलने वाले पानी का प्रेशर भी कम हो जाता है जिससे शहर के आखिरी छोर वाले घरों व ऊंचाई पर स्थित घरों में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पाता है। दमुवाढूंगा, बजूनियां हल्दू, गौजाजाली, तल्ली हल्द्वानी, इंद्रानगर, राजपुरा आदि क्षेत्रों में पानी की सबसे अधिक दिक्कत होती है। गर्मी बढ़ने और भूजल स्तर कम होने से नलकूपों से पानी का डिस्चार्ज भी कम हो गया है, जिससे कई इलाकों में पानी की समस्या बनी हुई है। साथ ही गर्मी में भूजल स्तर के घटने और लगातार दोहन से अब नलकूपों के डिस्चार्ज में भी कमी आने लगी है। तापमान बढ़ने के साथ -साथ आने वाले दिनों में उपभोक्ताओं को पानी की आपूर्ति कराना जल संस्थान के लिए चुनौती बन सकता है।
सिंचाई के लिए दो दिन छोड़कर दिया जा रहा है पानी
शहर में सिंचाई की तीन नहर है जिसमें कटघरिया, गौलापार और देवलचौड़ शामिल है। गौला का जल स्तर घटने से किसानों को सिंचाई के लिए हफ्ते में नहरों के माध्यम से दो दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता मनोज तिवारी ने बताया पानी को रोस्टर के अनुसार तीनों नहरों में छोड़ा जा रहा है। गौलापार के किसान प्रेम जोशी ने बताया कि सिंचाई के लिए पानी न मिलने के कारण सब्जियों और फसलों को नुकसान हो रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग और जंगलों के अंधाधुंध दोहन से गौला नदी के स्रोत सूखने लगे हैं। आने वाले समय में जलस्तर और भी घटने लगेगा। पेयजल संकट के हालात शहर को झेलने पड़ सकते हैं
जंगलों की आग से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से पानी की कमी होने लगी है। जलस्रोत सूख गए हैं। यदि जंगलों का दोहन होता रहा तो भविष्य में स्थिति और भी भयावह हो सकती है। – आनंद सिंह, स्थानीय निवासी
गौला का जलस्तर घटकर महज 95 क्यूसेक ही रह गया है। बारिश न होने पर यह स्तर और भी घटने की आशंका है। सिंचाई और पेयजल को लेकर समस्या हो सकती है।
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