ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर दिल्ली में एम्स सहित सभी बड़े अस्पतालों में कुछ दिनों तक अलर्ट रहता है, लेकिन इस बार अयोध्या में रामलाला की प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के निर्देश पर एम्स में रविवार से ही एक माह के लिए इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इसके तहत एम्स के मुख्य इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी सेवाएं 21 फरवरी तक हाई अलर्ट पर रहेंगी। ताकि किसी इमरजेंसी की स्थिति में जरूरत पड़ने पर उत्तर प्रदेश से स्थानांतरित किए गए मरीजों को तुरंत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके।
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चार वरिष्ठ डॉक्टर नोडल अधिकारी नियुक्त
महानिदेशालय ने नौ जनवरी को एक पत्र लिखकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर चिकित्सा व्यवस्था रखने का निर्देश दिया था। इसके बाद एम्स ने चार वरिष्ठ डॉक्टरों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जिसमें एम्स के इमरजेंसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश यादव, इमरजेंसी मेडिसिन के एडिशन प्रोफेसर डॉ. अक्षय कुमार, ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजीव भोई और एडिशन प्रोफेसर डॉ. तेज प्रकाश सिन्हा शामिल हैं, जिनसे इमरजेंसी की स्थिति में संपर्क किया जा सकता है।
एक माह तक अयोध्या में अधिक भीड़ की संभावना
एम्स ने पत्र लिखकर महानिदेशालय को इसकी सूचना दे दी है। एम्स को अलर्ट मोड में रखने के लिए जारी आदेश में कहा गया है कि राम मंदिर के शुभारंभ होने बाद एक माह तक अयोध्या में अधिक भीड़ रहने की संभावना है। इस वजह से अस्पताल की मुख्य इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर में इमरजेंसी सेवाओं को हमेशा तैयार रखा जाएगा। वैसे सरकार ने अयोध्या में पोर्टेबल अस्पताल ‘भीष्म’ को स्थापित किया है, जो इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसके अलावा 16 प्राथमिक चिकित्सा बूथ सहित कई पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
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