वर्ल्ड चैंपियन बनीं दिव्या देशमुख, जीत के पल में मां को गले लगाकर छलके आंसू

खबर रफ़्तार, बातुमी (जॉर्जिया): जब आखिरी कुछ सेकेंड बचे थे तो लाइव मैच देख रहे भारते के महान शतरंज खिलाड़ी और पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने कहा कि हम्पी ने बड़ी गलती की है। इससे दिव्या को बढ़त मिल गई और इसका 19 वर्षीय खिलाड़ी ने बखूबी फायदा उठाया।

19 वर्षीय दिव्या देशमुख, 38 वर्षीय कोनेरू हम्पी को खिताबी मुकाबले में हराकर फिडे महिला शतरंज विश्व कप की पहली भारतीय चैंपियन बनीं। यह इस टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार हुआ कि दो भारतीय फाइनल में आमने-सामने थीं। फाइनल के शुरुआती दो गेम ड्रॉ पर समाप्त हुए थे, जिसके बाद टाईब्रेकर का सहारा लेना पड़ा। जॉर्जिया के बातुमी में सोमवार को खेले गए फाइनल के टाईब्रेकर मुकाबले में दिव्या ने काले मोहरों से खेलते हुए हम्पी को हराया और ताज अपने नाम किया। तीन दिन तक चले क्लासिकल चेस के रोमांच ने फैंस को दांतों तले अंगुली चबाने पर मजबूर कर दिया। हम्पी और दिव्या देशमुख ने पहले रैपिड टाई-ब्रेकर में ड्रॉ खेला और फिर दिव्या ने दूसरे में जीत हासिल की। जीत हासिल कर दिव्या फूट फूटकर रो पड़ीं। उनकी मां भी वहीं मौजूद रहीं और दिव्या ने उन्हें गले लगा लिया।

दिव्या और हम्पी के बीच फाइनल में जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। शुरुआती दो गेम में दिव्या ने हम्पी को कोई मौका दिए बिना ड्रॉ खेलने पर मजबूर किया था। इससे मैच टाईब्रेकर में पहुंचा था। इसके बाद सोमवार को पहला टाईब्रेकर भी बेनतीजा रहा और मैच दूसरे टाईब्रेकर में पहुंचा। आखिर में हम्पी ने एक ब्लंडर किया और दिव्या को उन पर दबाव बनाने का मौका मिल गया। आखिरी चंद सेकेंड बचे थे तो हम्पी ने रिजाइन कर दिया और दिव्या जीत गईं। इसके बाद दिव्या वहीं सीट पर बैठे-बैठे रो पड़ीं। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था। इस जीत के साथ दिव्या ग्रैंडमास्टर भी बन गईं। इससे पहले उनके पास इंटरनेशनल मास्टर की उपाधि थी। इसके साथ ही उन्होंने अगले साल होने वाले कैंडिडेट्स शतरंज के लिए भी क्वालिफाई कर लिया है। कैंडिडेट्स शतरंज के विजेता को विश्व चैंपियन को टक्कर देने का मौका मिलता है।

जब आखिरी कुछ सेकेंड बचे थे तो लाइव मैच देख रहे भारते के महान शतरंज खिलाड़ी और पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने कहा कि हम्पी ने बड़ी गलती की है। इससे दिव्या को बढ़त मिल गई और इसका 19 वर्षीय खिलाड़ी ने बखूबी फायदा उठाया। जीत के बाद दिव्या को उनके परिवार वालों ने घेर लिया और सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे। दिव्या ने दिखा दिया है कि वह आने वाले समय की स्टार हैं और शतरंज में भारत का भविष्य उज्जवल है।

मैच के बाद दिव्या ने कहा, ‘मैं अभी तक इस जीत पर यकीन नहीं कर पा रही हूं। इसमें ढलने के लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए होगा। मुझे लगता है कि यह किस्मत से हुआ कि मुझे इस तरह से ग्रैंडमास्टर का खिताब मिला। इस टूर्नामेंट से पहले मेरे पास इस टूर्नामेंट को लेकर नियम की किताब तक नहीं थी। यह निश्चित रूप से बहुत मायने रखता है। हासिल करने के लिए बहुत कुछ है। मुझे उम्मीद है कि यह सिर्फ शुरुआत है।’ दिव्या स्पष्ट रूप से भावुक दिख रही थीं और उनके आंसू नहीं रुक रहे थे। उनकी जीत भारत में शतरंज के लिए एक ऐतिहासिक पल है।

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