पटवारी-लेखपाल परीक्षा की तारीख बदलने की मांग तेज़, पूर्व सीएम रावत ने आयोग से की अपील

खबर रफ़्तार, देहरादून: प्रदेश के युवाओं ने राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा आयोजित उत्तराखंड स्नातक स्तरीय परीक्षा (पटवारी/लेखपाल आदि) की तैयारी कर ली है. कल यानी 21 सितंबर को ये परीक्षा आयोजित होनी है. लेकिन इसके ठीक पहले बीच पूर्व सीएम हरीश रावत ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा को लेकर इसके समय में बदलाव की मांग की है. उन्होंने परीक्षार्थियों की समस्या और प्रदेश में आपदा से आई असमान्य स्थिति को लेकर ये मांग उठाई है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट साझा कर आयोग से मामले में विचार करने की अपील की है.

रावत ने लिखा है कि ‘उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कुछ बड़ी भर्तियां कर रहा है, स्वागत है. हजारों हमारे लड़के-लड़कियां इस अवसर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. यूं सामान्यतः सितंबर 15 के बाद उत्तराखंड में मानसून की विदाई हो जाती है. लेकिन इस बार मानसून की विदाई अभी तक भी घोषित नहीं हुई है और मानसून ने अपने तीखे खतरनाक तेवर बरकरार रखे है. अभी एकाध दिन पहले नंदनगर घाट क्षेत्र में बड़ी जबरदस्त प्राकृतिक आपदा आई है, दूर दराज के सभी क्षेत्रों में कहीं रास्ते टूटे हैं, कहीं सड़क टूटी हैं, कहीं गधेरों ने खेत काट दिए हैं, कहीं घरों में पानी घुस आया है, कहीं लोग दबकर के मर गए हैं तो यह स्थिति सारे राज्य में व्याप्त है. देहरादून ही बड़ी बुरी तरीके से प्रभावित है, रास्ते खराब पड़े हुए हैं और सच कहूं तो पिछले एक-डेढ़ महीने के अंदर ऐसी आपदाएं आई हैं जिन्होंने मानसिक रूप से भी हमको हिला दिया है. नौजवानों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. कई जगह बिजली कट गई है कई जगह और भी विपत्तियां आई है तो ऐसी स्थिति के अंदर बच्चे कितना परीक्षा के लिए तैयार हैं? इसको लेकर निश्चय ही सवाल उठते हैं? ‘

पूर्व सीएम ने आगे लिखा कि ‘मुझे एक छोटा सा सुझाव, मैं जानता हूं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इन परीक्षाओं के लिए बड़ी तैयारी कर रखी हैं, यह कोई सामान्य प्रबंधन का मामला नहीं है, यह असाधारण प्रबंधन का मामला है. ऐसी स्थिति के अंदर यह कहते हुये संकोच होता है कि कुछ दिन एक हफ्ता, 10 दिन पीछे कर दिया जाए यह कहने में संकोच होता है. लेकिन फिर भी मैं कहना चाहता हूं कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन परीक्षाओं को हफ्ता, 10 दिन पीछे किया जाए ताकि मानसून के थमने के बाद बच्चे मानसिक रूप से स्थिर होकर के परीक्षा भी दे सकें और उनको यह भरोसा हो सके कि परीक्षा केंद्र तक अपने घर-गांव से सकुशल पहुंच जाएंगे. मैं, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और राज्य सरकार से भी इस संदर्भ में आवश्यक संज्ञान लेने का आग्रह करना चाहूंगा.’

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