एफएनएन, देहरादूनः उत्तराखंड में अब तक शराब को लेकर सियासत भले ही सियासी दलों के बीच आपस में होती रही हो। लेकिन, अब उत्तराखंड विधानसभा में शराब को लेकर मामला गरमाता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल विधानसभा सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट पर शराब पीकर सदन में आने का आरोप सांसदीय कार्य मंत्री के द्वारा लगाया गया। जिस पर सदन के दूसरे दिन में सदन में हंगामा देखने को मिला।
कांग्रेस विधायक और मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच हुई तीखी नोंक झोंक
उत्तराखंड विधानसभा क्षेत्र की कार्यवाही में जहां प्रदेश के ज्वलन्त मुद्दे उठते आए हैं, लेकिन बजट सत्र के पहले दिन 18 फरवरी को कांग्रेस विधायक पर शराब पीकर सदन में आने का आरोप भी लगने का भी जिक्र इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। दरअसल, मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच तीखी नोंक झोंक देखने को मिली। वहीं, मदन बिष्ट के द्वारा सदन में अपशब्दों का प्रयोग करने का भी आरोप लगा है। संसदीय कार्य मंत्री ने पहले दिन आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक शराब पीकर सदन में आए थे।
विधानसभा अध्यक्ष ने मामले को आदर्श आचार समिति को सौंपा
सदन के दूसरे दिन भी बीजेपी के महिला विधायकों ने कांग्रेस विधायक के द्वारा सदन में कहे आप शब्दों की निंदा की और विधानसभा अध्यक्ष से करवाई की मांग की। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मदन बिष्ट के मामले को आदर्श आचार समिति के हवाले कर दिया। हालांकि दूसरे दिन संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस विधायक के द्वारा किया गया अपशब्दों का प्रयोग निंदनीय है। लेकिन सदन के भीतर इस तरीके की चर्चा हो रही थी, कि कांग्रेस के विधायक शराब पीकर आए।
कांग्रेस विधायक ने आरोपों पर जताई आपत्ति
संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के आरोपों पर कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के द्वारा आपत्ति जताई गई है। मदन बिष्ट का कहना है कि संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल या तो माफी मांगी नहीं तो वह मानहानि को लेकर उनको नोटिस जारी करेंगे। कहा कि प्रेमचंद के द्वारा पहाड़ के विधायक को बदनाम करने की कोशिश की गई है जो सही नहीं है।
शराब को लेकर विधानसभा के भीतर भी हंगामा
सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच नोंकझोंक की विधानसभा अध्यक्ष ने जहां निंदा की है, वहीं साफ तौर से कहा है कि इस तरीके का हंगामा सदस्य सदन के भीतर न करें। वहीं, कुल मिलाकर देखें तो शराब को लेकर विधानसभा के भीतर भी हंगामा देखने को मिल रहा है। ऐसे में सवाल माननीय पर खड़े होने लाजमी है कि क्या वास्तव में लोकतंत्र के मंदिर में इस तरीके के आरोप प्रत्यारोप जायज है।
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