चंपावत : गुरु गोरखनाथ धाम की अब बदलेगी तस्वीर, 271.39 लाख हुए पास; सतयुग से यहां जलती आ रही अखंड धूनी

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ख़बर रफ़्तार, चंपावत:  नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश क्षेत्र के मंच स्थित गुरु गोरखनाथ धाम में 271.39 लाख की लागत से पर्यटन और धार्मिक सुविधाओं का विकास होगा। आगामी फरवरी माह से विभिन्न कार्यों की शुरुआत कर दी जाएगी। जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्था को कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने एवं समय सीमा के भीतर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

कार्यदायी संस्था उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के अधिशासी अभियंता अशोक स्वरूप ने बताया कि गुरु गोरखनाथ धाम में पर्यटन एवं धार्मिक सुविधाओं के विस्तार के लिए शासन से 271.39 लाख की धनराशि स्वीकृति हुई है।
औपचारिकताएं हो गई हैं पूरी

विभाग ने निर्माण कार्य की सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली हैं। उन्होंने बताया कि हिमालय दर्शन हेतु वाच टावर एवं कैफेटेरिया, मंच से गोरखनाथ ट्रैक रूट का विकास, गुरु गोरखनाथ की मूर्ति की स्थापना, धाम में टॉयलेट का विकास, चाहर दीवारी का निर्माण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंकों का निर्माण, मंदिर के तीन गेटों का पुनर्निर्माण, मंदिर परिसर में फर्श का निर्माण तथा समस्त मार्ग में बेंचेस एवं साइनेज की स्थापना की जाएगी।

फरवरी से शुरू हो जाएगा काम

आगामी फरवरी माह से काम शुरू कर दिए जाएंगे। चंपावत मुख्यालय से 40 किमी दूर ऊंची चोटी पर स्थित गुरु गोरखनाथ धाम आध्यात्मिक एवं धार्मिक दृष्टि से जनपद का प्रमुख केंद्र है।

इस मंदिर की है खास मान्यता

सतयुग में गुरु गोरखनाथ ने यहां जो धूनी जलाई थी वह आज भी अनवरत जल रही है। नि:संतान दंपति यहां संतान प्राप्ति की इच्छा से साधना करते हैं। मंदिर में करीब 400 वर्ष पूर्व चंद राजाओं की ओर से चढ़ाया गया घंटा भी मौजूद है। मंदिर के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के चलते यहां देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहते हैं।

नाथ संप्रदाय के साधुओं द्वारा स्थापित यह मंदिर गो-रक्षक के रूप में भी पूजा जाता है। क्षेत्र की कोई भी उपज हो या दूध सबसे पहले इस धाम में चढ़ाया जाता है। धाम में मूलभूत सुविधाओं का विकास होने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।

अधिकारी ने कही ये बात

गुरु गोरखनाथ धाम में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए शासन ने 271.39 लाख की धनराशि अवमुक्त की है। निर्माण कार्य की सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं। आगामी फरवरी माह से योजना में शामिल कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। -अशोक स्वरूप, ईई, पेयजल संसाधन, निर्माण निगम लोहाघाट

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