सीडीएस अनिल चौहान को है अनोखा शौक, पड़ोसी देश नेपाल से हुई इसकी शुरुआत

खबरे शेयर करे -

खबर रफ़्तार ,देहरादून: भारत के नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को एक अनोखा शौक है। जो कला व संस्कृति के प्रति उनके खास लगाव को दर्शाता हैनवनियुक्त सीडीएस ले. जनरल अनिल चौहान (सेनि) मूलरूप से उत्‍तराखंड के पौड़ी जिले के खिर्सू ब्लाक के ग्रामसभा रामपुर कांडा गंवाणा निवासी हैं।उन्हें मुखौटे इक्ट्ठा करने का शौक है। ले जनरल अनिल चौहान (सेनि) एक कुशल सैन्य प्रशासक होने के साथ ही कला व संस्कृति से भी खास लगाव रखते हैं।

संग्रह में देश-दुनिया के 160 से अधिक मुखौटे

  • शुरुआत में उन्हें दो-तीन मुखौटे नेपाल से मिले और यहीं से उनके इस शौक की शुरुआत हुई।
  • नेपाल से लाए गए ये मुखौटे सजावट के लिए थे। लेकिन इन मुखोटों के प्रति उनका लगाव बढ़ता गया।
  • ले जनरल अनिल चौहान (सेनि) अंगोला गए तो वहां कुछ और मुखौटे मिले।
  • इन मुखौटों में एकदम अलग संस्कृति की छाया थी।
  • जिस कारण उनकी मुखौटों के प्रति रुचि बढ़ती गई।
  • अब उनके संग्रह में देश-दुनिया के 160 से अधिक मुखौटे हैं।
  • उनका यह संग्रह बरबस ही को एशिया से अफ्रीका, नागालैंड से लेह और देश-दुनिया की सैर करा देता है।

    सेना में महत्वपूर्ण पदों पर 40 साल की शानदार सेवा

    लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) सेना में महत्वपूर्ण पदों पर 40 साल की शानदार सेवा दी है। 31 मई 2021 को वह सेवानिवृत हुए थे।अनिल चौहान ने एक सितंबर 2019 को पूर्वी सेना की कमान संभाली थी। वह करीब 20 महीने तक पूर्वी कमान के प्रमुख के पद पर तैनात रहे थे।अनिल चौहान सेना के टाप कमांडरों में से एक रहे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट एयर स्ट्राइक की रणनीति में भी उनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका है।

    कोलकाता से भी गहरा लगाव

    अनिल चौहान को कोलकाता से भी गहरा लगाव है। वह बांग्ला भाषा में पारंगत हैं। उनके पिता भी सेना में थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के फोर्ट विलियम स्थित केंद्रीय विद्यालय से हुई है।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours