बरेली: नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के विरोध करने पर बेटी और पत्नी की हत्या

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एफएनएन, बरेली: नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के विरोध करने पर बेटी और पत्नी की हत्या करने के आरोपी तेजपाल गंगवार को कोर्ट ने परीक्षण में दोषी पाया। स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट कोर्ट नरेंद्र प्रकाश ने उसे आजीवन कारावास और 28 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

सरकारी वकील प्रवीन सक्सेना ने बताया कि मृतका सुशीला के पिता ने थाना सीबीगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उन्होंने अपने बेटी की शादी करीब 21 साल पहले गांव बोहित निवासी तेजपाल गंगवार के साथ की थी। जिनके 17 और 13 साल के दो बेटे और 15 साल की एक बेटी है। तेजपाल दूध बेचता है और अक्सर शराब पीकर सुशीला से झगड़ा करता था। वह उनके नाम की तीन बीघा जमीन अपने नाम कराना चाहता था।

तेजपाल ने मेरी पुत्री और धेवती को अपने साथियों के साथ मिलकर अक्टूबर 2018 में मार कर उनकी लाशों को कहीं छुपा दिया था जिनकी तलाश की जाती रही मगर नहीं मिली। 24 जनवरी 2019 को वह अपनी पत्नी मीना के साथ अपने गांव सेमीखेड़ा से बोहित आ रहे थे कि गांव से पहले रास्ते में कुछ बच्चों ने बताया कि गन्ने के खेत में दो खोपड़ी, कपड़े आदि पड़े हैं तो उन्होंने खेत के अंदर जाकर देखा और शवों की पहचान अपनी बेटी सुशीला और धेवती के रूप में की।

आरोप लगाया कि दामाद ने ही दोनों की हत्या कर शव खेत में छिपा दिए। सीबीगंज पुलिस ने हत्या, सबूत मिटाने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। पुलिस विवेचना में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म की पुष्टि होने दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट की धारा की बढ़ोत्तरी कर विवेचना के बाद तेजपाल के विरुद्ध आरोप पत्र कोर्ट भेजा था।

नाबालिग बेटे की गवाही बनी सजा का आधार
अदालत में मृतका के नाबालिग बेटे ने गवाही देकर बताया कि उसके पिता ने उसकी बहन के साथ 1 से 31 अक्टूबर 2018 के बीच कई दफा दुष्कर्म किया। उसने पिता को बहन के साथ दुष्कर्म करते हुए देखा तो मां को बताया। इस बात पर मां का पिता से कई दिन से झगड़ा हो रहा था। पुलिस में शिकायत के डर से पिता ने मां और बहन की हत्या कर शव को खेत में फेंक दिए थे।

तेजपाल खुद को बताता रहा अनपढ़ मगर पुत्री को लिखता था प्रेम पत्र
हत्यारोपी तेजपाल बेहद शातिर और क्रूर था। अदालत में पूरे विचारण के दौरान अंगूठा लगाकर स्वयं को अनपढ़ बताता रहा लेकिन विवेचना के दौरान पुलिस ने उसकी ओर से पुत्री को लिखे हुए प्रेम पत्र बरामद किए थे। वह गिरफ्तारी के वक्त प्रपत्र पर गलती से हस्ताक्षर कर गया था। फॉरेंसिक जांच में पुत्री को लिखे प्रेम पत्रों पर हस्ताक्षर मैच हुए, तब कहीं जाकर आरोप साबित हो सका।

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