ख़बर रफ़्तार, नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग ने इंटरनेट मीडिया पर फर्जी खबरों को लेकर सख्त हिदायत दे रखी है, इसलिए किसी भी संदेश या वीडियो संदेश को आगे बढ़ाने से पहले उसकी सत्यता जरूर जांच लें। ऐसा न होने पर हो सकता है कि आप भी फर्जी सूचना फैलाने वालों में शामिल हो जाए और सजा भी पाए।
जनता किसी की भी नेता या पार्टी की आलोचना को स्वतंत्र हैं, लेकिन यह स्वतंत्रता गलत सूचना या अफवाहों को लेकर नहीं है। अधिकारियों को अधिकार दिया गया है कि वह आपत्तिजनक बयानों से जुड़ी पोस्ट हटाने के लिए संबंधित इंटरनेट मीडिया को आदेश कर सकते हैं।
फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स या वॉट्सऐप के माध्यम से चुनाव संबंधित कोई अफवाह या भड़काऊ ऑडियो या वीडियो संदेश आता है। इसके बाद या तो आप उस वॉट्सऐप ग्रुप को छोड़ सकते हैं, या फिर उसे आगे साझा कर सकते हैं या लाइक और कमेंट कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो ऐसे में उस संदेश को लेकर आपकी जिम्मेदारी और जवाबदेही बराबर की होगी।
यदि आपने जो संदेश या वीडियो संदेश आगे भेजा है वह भड़काऊ है, गैरकानूनी है, किसी भी तरह से गलत है और धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने वाला है, तो ऐसे में आपके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसलिए किसी भी संदेश के मिलने पर उसे संयम और सावधानी के साथ पूरा जांच कर आगे भेजें।
वॉट्सऐप एडमिन और सदस्यों की जिम्मेदारी
वॉट्सऐप ने ग्रुप के एडमिन को कई अधिकार दिए हैं। यदि चुनावी माहौल में किसी ग्रुप में अफवाह भरे संदेश प्रेषित किए जा रहे हैं, तो एडिमन को चुनावी माहौल में जनहित में लोगों के मैसेज भेजने के अधिकार को अस्थायी तौर पर होल्ड करना होगा। वहीं यदि कोई ग्रुप सदस्य सामाजिक माहौल को बिगाड़ने वाले और उन्माद फैलाने वाले किसी संदेश को आगे भेजता है या कुछ आपत्तिजनक प्रतिक्रिया देता है तो उसकी भी जवाबदेही तय है।
दिल्ली पुलिस से कैसे कर सकते हैं शिकायत
दिल्ली पुलिस द्वारा संयुक्त पुलिस आयुक्त बी.एस. जायसवाल को लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान एसएमएस या विभिन्न इंटरनेट मीडिया मंचों के जरिए आपत्तिजनक संदेश फैलाने संबंधी मामलों से निपटने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। ऐसे संदेशों की शिकायत करने के लिए पुलिस ने एक नंबर 8130099025′ और एक ई-मेल nodalsmmc.election24 @ delhipolice.gov.in भी जारी किया है। इन दाेनों पर ही लोग इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री संबंधित मामलों की शिकायत कर सकते हैं।
इलेक्शन मोड में I4सी ने भी कसी कमर
देशभर में चुनावी माहौल को लेकर होम मिनिस्ट्री की I4सी (इंडियन साइबर क्राइम कंट्रोल एंड को-आर्डिनेशन) यूनिट भी इस दिशा में एक्टिव है। I4सी इलेक्शन के लिए फर्जी प्रसारित संदेशों और डीप फेक को इंटरनेट मीडिया से हटाने के लिए साइबर एक्सपर्ट की एक विशिष्ट टीम बनाई है। इनकी जिम्मेदारी है कि इंटरनेट मीडिया पर कोई गलत कंटेंट डालेगा, तो उसे सर्विस प्रोवाइडर को सूचित करके हटवा दिया जाएगा। सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा और शिकायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
इंटरनेट मीडिया पर फर्जी खबर फैलाने पर क्या है सजा
इंटरनेट मीडिया पर फर्जी खबरें प्रसारित करने पर आइटी एक्ट की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया जाता है। मुख्यतः किसी के खिलाफ दुर्भावना से अफवाहें फैलाना, नफरत फैलाना या बदनाम करना और सांप्रदायिकता फैलाने के मामले में आइटी (संशोधन) कानून 2009 की धारा 66 (ए) के तहत तीन साल तक की जेल और/या जुर्माने का प्रावधान है।
सजा का प्रावधान
पहले अपराध पर पांच साल की जेल और/या दस लाख रुपये तक जुर्माना। आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत यदि कोई पहली बार इंटरनेट मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है और साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
67ए के तहत यदि कोई दोबारा ऐसा करते हुए पाया तो उसे पांच साल तक की सजा और 10 लाख तक जुमार्ना अदा करना पड सकता है।
फर्जी संदेशों की किस तरह करें पहचान
वाट्सऐप पर मिले किसी भी संदेश को बिना सत्यापन किए कभी भी आगे नहीं भेजे। अगर आपकों किसी भी संदेश को लेकर शंका है,तो उसके संबंध में इंटरनेट पर गूगल करें,समाचार साइटों पर उससे संबंधित समाचारों को पढे या अन्य विश्वासनीय वेबसाइटों पर उसके सच होने की पुष्टि कर लें।
यदि आपको किसी मोबाइल नंबर से वॉट्सऐप पर कोई संदेश मिला और उसे सत्यापित करने पर वह आपको फर्जी मिलता है तो उस संदेश और नंबर की रिपोर्ट करें। आप संदेश भेजने वाले विरुद्ध भी रिपोर्ट कर सकते हैं। इससे फर्जी खबरों पर लगात लगेगी। खबर की सत्यता के लिए आप विश्वासन्यूज.कॉम पर जाकर भी चेक कर सकते हैं।
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