संस्कृत विवि में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में धांधली का आरोप, छात्रों ने छत पर चढ़कर किया हंगामा

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ख़बर रफ़्तार, हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में कथित पीएचडी धांधली और एचओडी घोटाले की जांच समेत अन्य मांगों को लेकर छात्रों ने आज दो मई को जोरदार हंगामा किया. कुलपति के खिलाफ नारेबाजी करते हुए छात्र विश्वविद्यालय परिसर में ही लाइब्रेरी की छत पर चढ़ गए थे. हंगामा बढ़ा तो प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर छात्रों को समझाया और उनकी रजिस्ट्रार से फोन पर बात कराई, जिसके बाद प्रदर्शनकारी छात्र शांत हुए और छत से नीचे उतरे.

छात्र नेता निर्मल थुवाल और आशीष सेमवाल का आरोप है कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में सत्र 2023-24 में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा हुई थी, जिसमें काफी अनियमितताएं हुई हैं. उनका आरोप है कि पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में एसटी आरक्षण को ध्यान नहीं रखा गया है. एसटी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया है.

दोनों छात्र नेताओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय के परंपरागत छात्रों के लिए 60 प्रतिशत और परिसर छात्रों के लिए 20 प्रतिशत वरीयता के नियम का पालन नहीं किया गया, जिसकी छात्रों ने कई बार शिकायत की. शिकायत के बाद 20 सितंबर 2023 को कुलपति के अनुमोदन पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने पीएचडी प्रवेश पर तत्काल रोक लगाई और आरोपी की जांच के लिए शिकायत निवारण कमेटी का गठन किया है.

दोनों छात्रों का कहना है कि कमेटी को भी छात्रों ने आपत्तियां दी थी, लेकिन उस कमेटी के निर्णय को भी सार्वजनिक नहीं किया गया. वहीं अब तीस अप्रैल 2024 को कुलपति के अनुमोदन पर पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा दिया गया. इतना ही नहीं छात्रों का आरोप है कि इसी सत्र में कुलपति ने अपने निजी परिचितों को लाभ पहुंचाने और मनमाने निर्णय लेने के लिए विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्षों को बदला दिया.

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि वो इन तमाम मुद्दों पर पिछले 9 महीने से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कोई भी समाधान नहीं किया गया, जिससे तंग आकर आज दो मई को छात्र विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की छत पर चढ़ गए और प्रदर्शन किया. हालांकि मौके पर पहुंची पुलिस ने छात्रों की रजिस्ट्रार से वार्ता कराकर उन्हें शांत किया और नीचे उतारा. इस संबंध में छात्रों की रजिस्ट्रार से मुलाकात भी होगी. छात्रों की तरफ से साफ किया गया है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वो दोबारा आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

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