ख़बर रफ़्तार, आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में आदेश के बाद भी आगरा कॉलेज के निलंबित प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ल को कार्यभार न ग्रहण कराने पर हाईकोर्ट ने संबंधित लोगों को नोटिस जारी किया है। इसमें प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल, मंडलायुक्त व आगरा कॉलेज प्रबंध समिति की अध्यक्ष रितु माहेश्वरी व कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. सीके गौतम शामिल हैं। इनसे एक माह के अंदर जवाब मांगा है।
प्रो. अनुराग शुक्ल को विभिन्न आरोपों की कड़ी में 10 फरवरी 2024 को शासन से जारी आदेश की कड़ी में मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने निलंबित किया था। इसके खिलाफ प्रो. अनुराग शुक्ल हाईकोर्ट चले गए। एक मार्च को हाईकोर्ट ने निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी। उनके कार्यभार ग्रहण कराने के आदेश दिए। उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया। मंडलायुक्त शासन स्तर से कोई निर्देश जारी होने के इंतजार में हैं। वहीं के आदेश पर निलंबित किया गया था।
फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने का आरोप
आगरा कॉलेज के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष ढल ने आगरा कॉलेज के निलंबित प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ल पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने का आरोप लगाया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि प्रो. अनुराग शुक्ल ने आगरा कॉलेज में कार्यभार ग्रहण करने के बाद अपनी सेवा पुस्तिका खुद तैयार की।
इसमें स्नातक स्तर पर शिक्षण का अनुभव शून्य व परास्नातक स्तर 19 वर्ष से अधिक दिखाया। खुद सत्यापित कर दिया। जबकि पीजी स्तर पर एक घंटे भी नहीं पढ़ाया। वह पहले जिस मदनमोहन मालवीय कॉलेज में तैनात थे, उसमें संस्कृत स्नातक स्तर का विभाग है।
मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है
यह भी आरोप लगाया कि प्रो. शुल्क ने अपने सारे दस्तावेज प्रबंध समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की गई है। जबकि प्रो. अनुराग शुक्ल का कहना है कि सुभाष ढल ने तथ्यहीन आरोप लगाए हैं। यह भी कहा कि हाईकोर्ट के नोटिस से बौखलाकर कार्यवाहक प्राचार्य ने सुभाष ढल से पत्रकार वार्ता कराई है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
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