ख़बर रफ़्तार, देहरादून: बिनसर वन्यजीव अभ्यारण में वनाग्नि से चार कर्मचारियों की मौत महकमे पर कई सवाल खड़े कर रही है. खास बात यह है कि अब इस प्रकरण में ये बात भी विभागीय अधिकारियों तक पहुंची है की नाबालिग युवा को फायर वाचर के रूप में अस्थाई तैनाती दी गई है. जिसके बाद विभाग ने हड़कंप मचा हुआ है. हालांकि उच्च अधिकारी इस मामले की जांच करवा रहे हैं. अगर ये बात सही निकली तो सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार किसी नाबालिग युवा से कैसे विभाग फायर वाचर के रूप में काम ले सकता है. वनाग्नि नियंत्रण जैसे बेहद खतरनाक काम के लिए नाबालिग को घटनास्थल पर क्यों भेजा गया फिलहाल मृतक करण आर्य से जुड़े सभी दस्तावेज की जांच की जा रही है.
अल्मोड़ा में वनाग्नि हादसे को लेकर हर दिन नए तथ्य सामने आ रहे हैं. खबर है कि इस घटना में मरने वाले चार कर्मियों में से एक करन आर्या नाबालिग था और उसके आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि का वर्ष 2007 है. इस जानकारी के सामने आने के बाद वन विभाग में भी हड़कंप मचा है. हालांकि वन विभाग करन की उम्र 21 वर्ष बता रहा था, लेकिन आधार कार्ड में साल 2007 की जानकारी सामने आने के बाद प्रकरण पर विभाग के लिए जवाब देना मुश्किल हो गया है. सवाल यह उठ रहे हैं कि यदि कारण के आधार कार्ड के हिसाब से वह बालिक नहीं था तो ऐसे में उसे वन विभाग ने फायर वाचर के रूप में कैसे तैनात कर लिया. हालांकि बताया यह भी जा रहा है कि करन को सहायक कर्मी के रूप में साथ ले जाया गया था.
बहरहाल मामले पर स्पष्ट स्थिति जांच के बाद ही सामने आ सकती है. प्रकरण पर पहले ही जांच के आदेश दिए जा चुके हैं. वहीं अल्मोड़ा में जिलाधिकारी के स्तर पर भी मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए गए हैं. वन विभाग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि आग बुझाने के लिए वन कर्मी ही मौके पर पहुंचे थे और उन्हें वनाग्नि में तेज लपटों का शिकार होना पड़ा. अब ऐसी स्थिति में सवाल सिर्फ इतना है कि यदि करण नाबालिग था तो उसे किसने फायर वाचर के रूप में तैनाती दे दी. मामले पर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी निशांत वर्मा ने बताया कि अभी घटना की विस्तृत जांच करवाई जा रही है और जांच के बाद ही घटना से जुड़े सभी तथ्यों पर स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.
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