ख़बर रफ़्तार, विकासनगर: उत्तराखंड को देश विदेश में देवभूमि के नाम से जानते हैं. यहां असंख्य देवस्थल इस बात की गवाही देते हैं. यहीं से गंगा और यमुना जैसी पवित्र जीवनदायिनी नदियां निकलती हैं. इसी कारण यहां के लोगों में देवी देवताओं के प्रति अटूट आस्था और विश्वास है.
इन दिनों जहां चारधाम यात्रा जोर-शोर से चल रही है. देश विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु रोजाना चारधाम पहुंच रहे हैं, वहीं उत्तराखंड के देहरादून जिले के जौनसार में जेठ महीने की मान्यता भी कम नहीं है. यह महीना महाकाली को समर्पित है. चकराता के इंद्रोली गांव में स्थित प्राचीन महाकाली मंदिर में जेठ महीने के प्रथम रविवार को दूर -दूर से श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचते हैं. अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने पर महाकाली के दरबार में शीश नवाते हैं. वहीं कुछ मन्नतें मांगने आते हैं, जिन्हें माता रानी का आशीर्वाद मिलता है.
महाकाली में अटूट आस्था वाले भक्त कई किलोमीटर नंगे पांव खड़ी चढ़ीई चढ़कर मंदिर मां के दर्शनों को पहुंचते हैं. हालांकि मंदिर तक मोटर मार्ग की भी सुविधा है. बावजूद इसके सच्ची श्रद्धा और विश्वास से भक्त कठिन से कठिन रास्तों को पार कर मां के दरबार में हाजिरी लगाने जेठ के महीने में जरूर पहुंचते हैं. माता रानी की अटूट भक्त कृष्णा देवी ने कहा कि मां का वरदान है. हम हर साल नंगे पांव पैदल चलकर महाकाली इंद्रोली थान (मंदिर) में मां के दर्शनों को पहुंचते हैं. मां का आशीर्वाद पूरे परिवार पर बना रहता है. मां के दर्शनों से मन तृप्त हो जाता है.
महाकाली की भक्त कविता का कहना है कि मैंने मां के दरबार मे संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी. मेरी मन्नत तीन साल बाद पूरी हो गई है. मैं परिवार के साथ मां के चरणों मे शीश नवाने आई हूं. माता को स्वेच्छा से चांदी का छत्र अर्पित कर रहे हैं. आचार्य विद्यादत्त जोशी ने कहा कि जेठ महीने का महत्व इसलिए माना जाता है कि इस माह में महाकाली का प्राकट्य प्रथम रविवार को इस गांव में हुआ था. भक्त संतन सिंह ने कहा कि माता रानी के नाम मात्र लेने से कष्ट दूर हो जाते हैं और कामों में सफलता मिलती है. महाकाली में हर दुख रहने की शक्ति है. पिछले पंद्रह सालों से मां के दरबार में दर्शन के लिए आ रहा हूं.
महाकाली के वजीर टीकम सिंह रावत का कहना है कि जेठ महीने में मां के भक्तों का दर्शनों के लिए तांता लगा रहता है. जो भी भक्त मां के दरबार में सच्ची श्रद्धा और विश्वास से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है. जेठ के पूरे महीने में हजारों की संख्या में रविवार को श्रद्धालुओं का मां के दर्शनों के लिए तांता लगा रहता है. उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से भी मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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