माड़वी हिड़मा: एक करोड़ का इनामी, हिड़मा के ऊपर इतनी बड़ी रकम क्यों रखी गई?

ख़बर रफ़्तार, बस्तर: कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा को सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया है। माड़वी हिड़मा की मौत देश में नक्सलवाद के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है और इससे नक्सलियों की सैन्य क्षमताएं कमजोर होंगी। हाल के वर्षों में देश में हुई हर बड़ी नक्सली घटना के पीछे माड़वी हिड़मा का ही दिमाग माना जाता है।

नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। दरअसल सुरक्षाबलों ने मंगलवार सुबह छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर हुई एक मुठभेड़ में देश के सबसे खतरनाक और वांछित नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा को ढेर कर दिया। माओवादियों को यह हाल के वर्षों में लगा सबसे बड़ा झटका है और दावा किया जा रहा है कि माड़वी हिड़मा की मौत के बाद अब देश में नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू हो सकती है।

कौन था माड़वी हिड़मा?
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में जन्में माड़वी हिड़मा ने 16 साल की उम्र में ही हथियार उठा लिए थे और बतौर कैडर शुरुआत करके माड़वी हिड़मा बीते दो दशकों में प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) में कई अहम पदों पर रहा। हिड़मा कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था और उस पर सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था।
माड़वी हिड़मा सीपीआई माओवादियों की बटालियन नंबर एक का कमांडर था, जो नक्सलियों की सबसे खतरनाक सैन्य टुकड़ी मानी जाती है। हिडमा दंडकारण्य क्षेत्र के घने जंगलों में रहता था और उसे अबूझमाड़ और सुकमा-बीजापुर के वन क्षेत्रों की काफी जानकारी थी। यही वजह थी कि कई कोशिशों के बाद भी हिडमा लंबे समय तक सुरक्षाबलों से बचता रहा। हिडमा फिलहाल बस्तर दक्षिण इलाके में सक्रिय था।

दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ पर हमले समेत कई बड़े हमलों का था मास्टरमाइंड
हिड़मा कितना खतरनाक था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल के वर्षों के अधिकतर बड़े नक्सली हमलों में उसकी संलिप्तता था फिर चाहे वो साल 2010 में दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ पर हुआ हमला हो, जिसमें 76 सीआरपीएफ जवानों बलिदान हुए थे या फिर दरभा घाटी में झीरम घाटी का हमला, जिसमें छत्तीसगढ़ के पूरे कांग्रेस नेतृत्व को खत्म कर दिया गया था। साल 2017 में सुकमा में हुए दो हमलों, जिनमें 37 जवानों की मौत हुई थी और 2021 के बीजापुर में तर्रेम हमले में भी माड़वी हिड़मा का नाम सामने आया था। सुरक्षाबलों का दावा है कि अप्रैल 2025 में कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर हुई मुठभेड़ में हिड़मा बाल-बाल बच गया था। उस मुठभेड़ में 31 माओवादी मारे गए थे।

नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू
बस्तर रेंज के आईजीपी सुंदरराज पी का कहना है कि माड़वी हिड़मा की मौत नक्सलवाद के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि कई कुख्यात माओवादी हाल के समय में ढेर हो चुके हैं और कई मुख्य धारा में शामिल हो गए हैं। अब बाकी बचे नक्सली कमांडरों से भी आत्मसमर्पण की अपील की जाएगी और जो अभी भी हिंसा के रास्ते पर चलेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिडमा की मौत से बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। सरकार ने साल 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य तय किया और माड़वी हिड़मा की मौत उस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि हिडमा की मौत के साथ ही देश में नक्सलवाद की उल्टी गिनती शुरू हो सकती है।

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