ख़बर रफ़्तार, खटीमा: क्षेत्र के जमोर गांव के मंजूर अहमद बृहस्पतिवार को सुबह से ही वलीमा और बेटी की विदा कराकर लाने की तैयारी में जुटे थे। परिजन और रिश्तेदारों को ले जाने के लिए कई कारों को किराये पर बुलवाया था। दोपहर में वे पीलीभीत के चंदोई आए। दिन भर कार्यक्रम में रहने के बाद कई रिश्तेदार घरों के लिए निकल गए। रात में होने वाली चौथी की रस्म के लिए 20 से अधिक परिजन और रिश्तेदार ही यहां रुके।
रात करीब नौ बजे पुत्री को विदा कराया। सभी लोग तीन कारों में सवार होकर घर के लिए रवाना हुए। मंजूर ने यह सोचा भी नहीं था कि उनका यह आखिरी सफर है। न्यूरिया कस्बे में पहुंचते ही थाने के पास चालक ने ओवरटेक करने के लिए कार की गति तेज की। इससे कार अनियंत्रित होकर खाई में जाकर पेड़ से टकरा गई। हादसे में पिता मंजूर समेत छह लोगों की मौत हो गई। इससे आगे चल रही कार भी रुक गई। मौके पर भीड़ जमा हो गई। सैकड़ों लोग घटनास्थल पर जमा हो गए। एक घंटे से अधिक समय तक अफरातफरी का माहौल रहा। अपनों के शव देख परिजन बदहवास हो गए।
खटीमा में चार घरों में गूंजी चीख-पुकार
पीलीभीत जिले के न्यूरिया क्षेत्र में बृहस्पतिवार रात हुई भीषण दुर्घटना के बाद खटीमा के चार घरों में मातम पसर गया। पीलीभीत में पोस्टमार्टम के बाद शव खटीमा पहुंचा तो घर में चीख-पुकार मच गई पुत्री के निकाह के बाद उसके ससुराल पीलीभीत के चंदोई में दावत-ए-वलीमा में शामिल होने के लिए जमौर निवासी मंजूर अहमद चार गाड़ियों से अपने परिवार के साथ गए थे। दावत-ए-वलीमा के बाद पुत्री को खुशी-खुशी घर ला रहे थे, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही न्यूरिया के पास हुई भीषण दुर्घटना ने परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। वहीं 12 साल के पोते राकिम रजा और भूड़ निवासी बड़ी बहन मुन्नी बेगम की मौत से परिजनों में मातम छा गया। इधर, गोटिया निवासी बुजुर्ग शरीफ अहमद और सत्रहमील निवासी कार चालक शाहे आलम की मौत से परिवारों में दिनभर कोहराम मचा रहा।
आजादी से पहले खटीमा में रहे रहे थे पूर्वज
परिजनों ने बताया कि मंजूर अहमद का परिवार देश की आजादी से भी पहले खटीमा में निवास कर रहा था। वर्ष 1938 के आसपास उनके परिवार को जमीन आवंटित की गई थी। मंजूर अहमद खेती करते थे।कारों के पुराने मैकेनिक थे शरीफ अहमद
न्यूरिया में सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले गोटिया निवासी शरीफ अहमद कारों के पुराने मैकेनिक थे। लोगों ने बताया कि वह अपने समय में खटीमा में एंबेस्डर गाड़ी के एकमात्र मैकेनिक थे। वह कब्रिस्तान कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके थे। उन्होंने उमरा भी किया था। उनका एक पुत्र सउदी अरब में नौकरी करता है।
परिवार में सबसे बड़ा था शाहे आलम
शाहे आलम आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। परिजनों ने बताया कि उसने दो साल पहले ही गाड़ी खरीदी थी। वह गाड़ी को बुकिंग पर चलाता था। इससे पहले वह गन्ने के कोल्हू का काम भी करता था। वर्तमान में उसका छोटे भाई कोल्हू चलाता है। उसके सात और पांच वर्ष के दो पुत्र हैं। संवाद
ड्राइवर को झपकी आई या ओवर टेक करने से हुई दुर्घटना?
हादसे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लोगों ने बताया कि चार गाड़ियों में शाहे आलम की गाड़ी पीछे थी। बाद में वह ओवरटेक करके आ गया था। इसके कुछ देर बाद कार अनियंत्रित होकर पलट गई थी। लोगों में यह भी चर्चा थी कि चालक को झपकी आ गई थी। लोगों ने बताया कि कार के सड़क किनारे गड्ढे में पलटने के बाद यदि पेड़ नहीं गिरता तो इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं होती।
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